टोक्यो ओलंपिक के हॉकी सेमीफाइनल में भारतीय महिला हॉकी टीम को हार का सामना करना पड़ा। अर्जेंटीना ने भारत को 2-1 से मात दी और फाइनल में अपनी जगह बना ली। वहीं अब भारतीय महिला टीम ब्रॉन्ज मेडल के लिए ग्रेट ब्रिटेन के साथ खेलेगी। पहले क्वार्टर में भारतीय टीम ने आक्रमक खेल दिखाया और शुरूआत में गुरजीत कौर ने गोल करके भारत को बढ़त दिलाई, लेकिन इसके बाद अर्जेंटीना की टीम ने मुकाबले में वापसी की। दूसरे क्वार्टर और तीसरे क्वार्टर में गोल दागकर अर्जेंटीना की टीम भारत सेआगे निकल गई। इस ओलंपिक में भारतीय टीम ने पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाकर इतिहास रचा था।
इन 16 बेटियों ने बढ़ाया भारत का मान
रानी रामपाल- टीम इंडिया की कप्तान रानी रामपाल हरियाणा के शाहबाद से आती हैं। 26 साल की रानी फॉरवर्ड पॉजिशन पर खेलती हैं और देश की उम्मीदों का भार उनपर ही टिका है। एक दशक से ज्यादा से हॉकी खेल रही रानी जूनियर वर्ल्ड कप, एशियन कप में अपना जलवा दिखा चुकी हैं।
नेहा गोयल- हरियाणा के सोनीपत की रहने वाली नेहा मिडफील्डर पॉजिशन पर खेलती हैं। 24 साल की नेहा ने कभी साइकिल फैक्ट्री में काम किया है और अब उनके पास देश के लिए सोना जीतने का मौका है।
मोनिका मलिक- हरियाणा से ही आने वालीं मोनिका टीम इंडिया की मिडफील्डर हैं। मोनिका के पिता चंडीगढ़ पुलिस में ASI हैं। मोनू के नाम से मशहूर मोनिका टीम इंडिया की ओर से एशियन गेम्स में खेल चुकी हैं।
गुरजीत कौर- पंजाब के अमृतसर से आने वालीं गुरजीत ने ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक मात्र गोल किया था, जिसने सेमीफाइनल की टिकट पक्की की। कभी कबड्डी खेलने वाली गुरजीत ने हॉस्टल के दिनों में हॉकी स्टिक थामी थी।
शर्मिला देवी- फॉरवर्ड पॉजिशन पर खेलने वालीं 19 साल की शर्मिला ने 2019 में अपना डेब्यू किया था। अमेरिका को हराने में शर्मिला की अहम भूमिका रही थी, तभी से वो हर किसी की नज़रों में हैं।
दीप एक्का- ओडिशा से आने वालीं दीप 27 साल की हैं और टीम इंडिया में डिफेंडर की भूमिका में हैं। एक्का पहले गोलकीपर बनना चाहती थीं, लेकिन बाद में उन्होंने डिफेंडर की भूमिका चुनी। दीप का ये दूसरा ओलंपिक है।
सलीमा तेते– झारखंड की सलीमा भारतीय टीम में मिडफिल्डर हैं। नक्सली इलाके से आने वालीं सलीमा की शुरुआत काफी मुश्किल भरी रही, खेत में काम कर पैसा कमाने के बाद वह हॉकी स्टिक जीत पाई थीं।
वंदना कटारिया- उत्तर प्रदेश की वंदना ने इस ओलंपिक में शानदार गेम खेला है. वंदना की हैट्रिक के दम पर ही टीम यहां तक पहुंची है. फॉरवर्ड पॉजिशन पर खेलने वाली वंदना पर देश की निगाहे हैं।
नवजोत कौर- कुरुक्षेत्र की नवजोत के पिता मैकेनिक थे, लेकिन उनकी बेटी अब टोक्यो ओलंपिक में अपने देश का नाम रोशन कर रही है। मिडफिल्डर के तौर पर खेलने वाली नवजोत रियो ओलंपिक में खेल चुकी हैं।
निशा वारसी- हरियाणा के सोनीपत की निशा भारतीय टीम की मिडफिल्डर हैं, जिन्होंने दो साल पहले ही डेब्यू किया था। 2018 में टीम में शामिल होने के बाद से ही निशा टीम की महत्वपूर्ण खिलाड़ी हैं।
लालरेमसियामी- मिजोरम की रहने वालीं लालरेमसियामी सिर्फ 21 साल की उम्र में देश की उम्मीदों का भार उठा रही हैं। फॉरवर्ड पॉजिशन पर खेलने वालीं लालरेमसियामी शुरुआत में सिर्फ साइन भाषा में बात करती थीं, क्योंकि जब वो टीम में आईं तो उन्हें हिन्दी और अंग्रेज़ी नहीं आती थी. लालरेमसियामी अपने राज्य से ओलंपिक खेलने वाली पहली प्लेयर हैं।
सुशीला चानू- मणिपुर के इम्फाल से आने वाली टीम इंडिया की मिडफिल्डर सुशीला टीम की सबसे सीनियर प्लेयर में से एक हैं। सुशीला टीम की कप्तान भी रह चुकी हैं और रियो ओलंपिक में उन्होंने टीम की अगुवाई की थी।
सविता पूनिया- टीम इंडिया की दीवार सविता को देश में कौन नहीं जानता। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 9 पेनाल्टी कॉर्नर को जिस तरह सविता ने बचाया। उससे वो देश में हीरो बन गई। हरियाणा की रहने वालीं सविता टीम इंडिया की वाइस कैप्टन हैं।
निक्की प्रधान- 27 साल की निक्की झारखंड के हेसल से आती हैं और टीम के महत्वपूर्ण डिफेंडर में से एक हैं। निक्की इससे पहले रियो ओलंपिक में भी हिस्सा ले चुकी हैं।
उदिता दुहान- हरियाणा के हिसार की उदिता जो टीम में डिफेंडर की भूमिका में हैं, हर किसी की निगाहें उन्हीं पर टिकी हैं। उन्होंने पहले अपने पिता की तरह हैंडबॉल खेलने से शुरुआत की और बाद में हॉकी की ओर आईं।
नवनीत कौर- हॉकी के गढ़ शाहबाद से आने वाली नवनीत उन खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्होंने रियो ओलंपिक में हिस्सा लिया था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुकाबले में नवनीत ने शानदार खेल दिखाया था।