जापान की राजधानी टोक्यो में 24 अगस्त से 5 सितम्बर 2021 तक पैरालंपिक होने वाले हैं। इसमें जेवलिन थ्रो के सुपरमास्टर देवेंद्र झाझड़िया भारत की ओर से मैदान में उतरेंगे। टोक्यो पैरालंपिक 2020 में देवेंद्र झाझड़िया का मुकाबला 30 अगस्त को होगा। एथेंस और रियो के बाद अब टोक्यो में देवेंद्र की नजर अपने तीसरे ओलंपिक गोल्ड मेडल पर होगी। देवेंद्र झाझड़िया पहले पैरा-एथलीट है, जिन्हें पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया हैं। उनके नाम 62.15 मीटर भाला फेंक का रिकॉर्ड है।
As we celebrate Neeraj Chopra’s success at #Tokyo2020, spare a moment to remember Davinder Jhanjhariya an Athlete who has won two gold medals in the same discipline (Javelin) for India at the Paralympic. pic.twitter.com/ih0juG1ALD
— Shaun Fanthome (@shaunfanthome) August 8, 2021
एक हाथ नहीं होने की वजह से देवेंद्र सामान्य की बजाय पैरालंपिक में हिस्सा लेते हैं। देवेंद्र झाझड़िया पैरालंपिक से भारत के लिए दो बार गोल्ड मेडल लाने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं। एथेंस ओलंपिक 2004 में 62.15 मीटर भाला फेंककर विश्व रिकोर्ड बनाया और पहली बार गोल्ड मेडल लाए। रियो ओलंपिक 2016 में खुद का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 63.97 मीटर तक भाला फेंका और गोल्ड मेडल अपने नाम किया। अब टोक्यो पैरालंपिक में उनका लक्ष्य गोल्ड की ओर होगा। एक इंटरव्यू में देवेंद्र ने कहा कि उन्हें खुद पर भरोसा है कि वो एक और सोना घर ले जाने में कामयाब होंगे।
When @DevJhajharia sent it flying in Rio!
We were reminded of this world record #Paralympics moment after seeing @Neeraj_Chopra1 seal a historic #Olympics gold for #TeamIndia. @ParaAthletics | @ParalympicIndia | #IND | #Tokyo2020 | #NeerajChopra pic.twitter.com/mkDak6leGa
— Paralympic Games (@Paralympics) August 7, 2021
आपको बता दें कि देवेंद्र झाझरिया का जन्म राजस्थान के चुरू जिले में एक किसान परिवार में हुआ था। 8 साल की उम्र में उनके साथ एक बड़ा हादसा हुआ। 8 साल की उम्र में वो अपने दोस्तों के लुका-छिपी खेल रहे थे। इस दौरान छिपने के चक्कर में वो एक पेड़ पर चढ़ गये, जहां उन्होंने गलती से 11,000 वोल्ट के करंट वाले एक तार को छू लिया।
#Paralympics #Tokyo2020 @ParalympicIndia pic.twitter.com/r1DFqzOmc3
— Devendra Jhajharia (@DevJhajharia) August 10, 2021
जिसके बाद वो बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े। डॉक्टरों ने उनकी जान तो बचा ली, लेकिन उनका बायां हाथ तुरंत काटना पड़ा। इस मुश्किल परिस्थिति में झाझरिया ने हिम्मत नहीं हारी और एक ऐसा खेल अपनाने का फैसला किया, जिसमें केवल एक हाथ की जरुरत हो। देवेंद्र झाझरिया ने भाला फेंकना शुरू किया। उन्होंने बांस से अपना पहला भाला बनाया और प्रैक्टिस शुरु की। मेहनत और लगन की परिणाम ये हैं कि वो आज भारत के नंबर वन जेवलिन थ्रोअर हैं।