बुधवार 1 जुलाई को कश्मीर से आए एक वीडियो ने करोड़ों भारतीयों की आंखें नम कर दीं. वीडियो में 3 साल का एक बच्चा अपने दादा के मृत शरीर पर रोता हुआ देखा जा सकता है. सेना और आतंकियों की भिडंत में बच्चे के दादा की गोली लगने से मौत हो गई. इससे पहले भी पांच साले के निहान की मौत का कारण आतंकी बने.
मौतों का ये सिलसिला कश्मीर में न रुके इसके लिए पाकिस्तान में बैठे आतंकी सरगना युवाओं को भारत के खिलाफ़ भड़काने के लिए कई तरीके अपनाते हैं, उनमें से एक बेहद महत्वपूर्ण माध्यम है सोशल मीडिया. पेशे से वकील अविनाश जो दिल्ली स्थित ‘सरयू ट्रस्ट’ में काम करते हैं, ने एनआईए को पत्र लिखकर कुछ ऐसे फेसबुक पेजों की जानकारी दी है जो खुलकर आतंक का समर्थन करते, आतंक का गुणगान करते दिखाई देते हैं.
इन में से एक फेसबुक पेज जिसका नाम <a href="https://www.facebook.com/watch/2342Umerqureshi/">‘कश्मीर की आवाज़’</a> है, खुलकर आतंक और आतंकियों का गुणगान करता है. इस पेज पर 10 हज़ार से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं. कई वीडियो आतंकी बुरहान वानी की तारीफ में कसीदे पढ़ते देखे जा सकते हैं. इस पेज पर बुरहान वानी वाले वीडियो पर 20 हज़ार से ज्यादा लाइक हैं.
<img class="aligncenter wp-image-7000" src="https://indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/07/1.jpg" alt="" width="554" height="396" />
आज का युवा चूंकि सोशल मीडिया का बहुत इस्तेमाल करता है, ऐसे में आतंकियों और उनके आकाओं ने उन्हें गुमराह करने का तरीका ढूंढ़ निकाला है. आंतकी संगठन ISIS जम्मू-कश्मीर के युवाओं को रिक्रूट करने के लिए ‘टेलीग्राम’ का इस्तेमाल कर रहा है. सुरक्षा एजेंसियों ने इसको लेकर पहले ही चिंता ज़ाहिर की है.
एक और फेसबुक पेज ‘<a href="https://www.facebook.com/umarkitweets/videos">कश्मीर द स्पीकर’</a> आतंकियों को ‘शहीद’ बताकर कश्मीर के लोगों के मन में उनके लिए संवेदना जगाने का काम कर रहा है. इस पेज पर भी 10 हज़ार से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं और कई वीडियो 10 हज़ार से ज्यादा बार देखे गए हैं.
<img class="wp-image-6991" src="https://indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/07/terror.jpg" alt="" width="551" height="373" /> 'कश्मीर द स्पीकर' के इस वीडियो पर 10 हज़ार से ज्यादा लाइक हैं.देश की सुरक्षा एजेंसियों को इस तरह की गतिविधियों पर कड़ी नज़र रखने की ज़रूरत है, क्योंकि जब तक ये पेज चर्चा में आएंगे तब तक ये अपना मकसद पूरा करके कोई दूसरा पेज शुरू कर चुके होंगे.
<a href="https://www.facebook.com/watch/Chronicle-of-kashmir-107467341032264/">'क्रॉनिकल ऑफ़ कश्मीर' </a> नाम का फेसबुक पेज आतंकी बनने और 'शहीद' होने को कश्मीरियों के लिए फख्र की बात बताता है. इसके एक वीडियो पर 24 हज़ार से ज्यादा लाइक हैं.
<img class="wp-image-7008 size-full" src="https://indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/07/2.jpg" alt="" width="659" height="435" /> 'कश्मीर' नाम का यह वीडियो वायरल हो रहा है.कश्मीर में पाकिस्तान का हिंसा का खेल लगातार ज़ारी है. यह खेल तभी तक चल रहा है जब तक स्थानीय लोग इस दुश्मन देश के गुर्गों के झांसे में आ रहे हैं. अब वह समय है जब कश्मीर के लोगों को अलगाववादियों और पाकपरस्तों के झूठ को न सिर्फ पकड़ना है बल्कि उनके इस खूनी खेल का पर्दाफाश भी करना है.
समझना होगा कि जो युवा कश्मीर और देश की तरक्की का हिस्सा बन सकते हैं, वे ISI के बुने जाल में फंसकर मारे जा रहे हैं. नई पीढ़ी को आतंक से दूर रखने की ज़िम्मेदारी सरकार के साथ साथ समाज की भी है. सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले युवा किसी आतंकी संगठन के जाल में न फंसे इसके लिए घर के बड़ों को उनकी गतिविधियों पर नज़र रखने की ज़रूरत है.
साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल में दर्ज आंकड़ों के अनुसार सन 1990 से 2017 तक जम्मू-कश्मीर में 22 हज़ार से ज्यादा आम नागरिक आतंकियों के हमलों में मारे गए. इसी अवधि में 5 हज़ार से ज्यादा सुरक्षाकर्मी भी शहीद हुए. अनुच्छेद 370 हटने के बाद से आतंकी दल बौखलाए हुए हैं. सेना ने बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाकर आतंक की नई पौध का सफाया किया है. 2019 और 2020 में ही 317 आतंकी ढेर हुए..