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बिहार में चुनावी सरगर्मी बढ़ने के साथ ही आरोप-प्रत्यारोप तेज हुए

बिहार में चुनावी सरगर्मियां अब धीरे-धीरे तेज होने लगी हैं। भाजपा को छोड़कर करीब-करीब हर पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। भाजपा ने भी प्रथम चरण के उम्मीदवारों की एक सूची जारी कर दी है लेकिन आगे के चरण के उम्मीदवारों की घोषणा अभी बाकी है। ऐसे में जिनको टिकट नहीं मिला है, वह अब अपने लिए नई राजनीतिक जमीन तलाश कर रहे हैं। सभी दलों के असंतुष्टों का एक नया ठिकाना लोक जनशक्ति पार्टी यानी लोजपा बन गया है।

भाजपा के लिए यह चिंता का सबब जरूर बना है, लेकिन भाजपा ने फिलहाल सभी बागियों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। रोहतास जिले के नोखा विधानसभा क्षेत्र जदयू के कोटे में जाने के बाद, उस क्षेत्र से विधानसभा में कई बार प्रतिनिधित्व कर चुके भाजपा के नेता रामेश्वर चौरसिया ने लोजपा का दामन थाम कर चुनावी मैदान में जाने का फैसला कर लिया है।

इधर, दिनारा क्षेत्र के भी जदयू के हिस्से में जाने के बाद भाजपा के दिग्गज नेता राजेंद्र सिंह लोजपा का दामन थाम चुके हैं। भाजपा की उपाध्यक्ष रहीं डॉ.उषा विद्यार्थी भी बुधवार को लोजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। डॉ. विद्यार्थी के पटना जिले के पालीगंज विधानसभा क्षेत्र से लोजपा की प्रत्याशी बनने के कयास लगाए जा रहे हैं।

ऐसे में पार्टी ऐसे नेताओं को लेकर मंथन में जुट गई है। भाजपा के राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र दुबे कहते हैं कि, "लोजपा 'वोटकटवा' के अलावा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि राजग का कोई कार्यकर्ता लोजपा के साथ नहीं जाएगा। उन्होंने माना कि कई लोग नाराज होकर इधर-उधर जाते हैं लेकिन भाजपा ऐसी पार्टी है, जिसके कार्यकर्ता देर-सबेर इधर उधर कूद-फांदकर फिर लौट आते हैं।"

इधर, भाजपा के प्रवक्ता अरविंद सिंह कहते हैं कि, "किसी भी व्यक्ति की अभिव्यक्ति की आजादी है। जिसे पार्टी से निष्ठा नहीं होगी, वे इधर-उधर जा सकते हैं। कोई कहीं जाता है, तो जाने वाले लोगों को कोई नहीं रोक सकता है। यह खुद सोचने की बात है।

जदयू के नेता और सांसद सुनील कुमार पिंटू कहते हैं कि, "लोजपा का बिहार में कोई आधार नहीं है। इसके पहले भी लोजपा अकेले चुनाव लड़कर देख ली है। इस चुनाव में भी वही होना है।"

इधर, बिहार के चुनाव प्रभारी और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में स्पष्ट कहा था कि, "राजग के बाहर कोई भी किसी अन्य पार्टी से चुनाव लड़ेगा वो हमारा नहीं है। भाजपा स्पष्ट कर चुकी है कि जिसे भी बिहार में नीतीश कुमार का नेतृत्व पसंद नहीं है, वह भााजपा के साथ नहीं है।"

जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने पिछले 15 सालों के कार्यकाल के में हुए विकास और कानून व्यवस्था में सुधार का हवाला दे रहे हैं। नीतीश कुमार ने चुनाव से पहले बिहार की जनता को एक पत्र लिखकर संदेश दिया है। उन्होंने पत्र के जरिए 2005 से अब तक बिहार की सेवा करने का मौका देने के लिए लोगों को धन्यवाद देते हुए आगे सक्षम एवं स्वावलंबी बिहार बनाने का संकल्प दोहराया।

नीतीश ने अपने पत्र में लिखा, "हम लोगों ने समाज में अमन-चैन और भाईचारे का वातावरण बनाया, डर का माहौल खत्म हुआ और सभी क्षेत्रों में विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ। हमने शिक्षा-स्वास्थ्य के क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया है। छात्र-छात्राओं को साइकिल, पोशाक, छात्रवृत्ति दी गई। अस्पतालों में इलाज की बेहतर व्यवस्था की गई।"

उन्होंने सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यो का उल्लेख करते हुए पत्र में लिखा, "हमारी सरकार में हजारों सड़कों और पुलों का निर्माण किया गया। विकसित बिहार के 7 निश्चयों के तहत हर घर में बिजली पहुंचा दिया। हर घर में शौचालय का काम, हर टोले तक संपर्कता का काम लगभग पूर्ण हुआ। 83 प्रतिशत घरों में पीने का पानी और अधिकांश घरों तक पक्की गली-नालियां बन गई हैं।"

जदयू अध्यक्ष ने अपने पत्र में किसानों की आय बढ़ाने के लिए शुरू की गई योजनाओं की चर्चा की है। उन्होंने आगे लिखा, "शराबबंदी के लिए तथा बाल विवाह, दहेज प्रथा के विरुद्ध सामाजिक अभियान चलाया गया है। जल-जीवन-हरियाली अभियान के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए काम हो रहा है।"

पत्र में कोरोना काल में किए गए कायरें का भी उल्लेख किया गया है। पत्र में नीतीश कुमार ने आगे लिखा, "हम जमीन पर काम करने में यकीन करते हैं, प्रचार में नहीं। यदि हमें अगली बार सेवा का मौका मिलता है तो हम 7 निश्चय के द्वितीय चरण को लागू करेंगे।"

उन्होंने पत्र के अंत में लिखा, "हमने जो काम किया वह सब आपके सामने है। लोगों की सेवा करना ही हमारा धर्म है। मुझे विश्वास है कि आपके सहयोग और आशीर्वाद से आनेवाले दिनों में हर राज्य को विकास की और ऊंचाइयों तक पहुंचाते हुए सक्षम एवं स्वावलंबी बिहार बनाएंगे।"

इससे पहले राजग में शामिल जनता दल (यूनाइटेड) के अपने कोटे की सभी 115 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा हो जाने के बाद बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडेय का चुनाव लड़ने का सपना एक बार फिर टूट गया है। यह कयास लगाए जा रहे थे कि पांडेय इस चुनाव में बक्सर से जदयू के प्रत्याशी हो सकते हैं। लेकिन बक्सर सीट भाजपा के कोटे में चली गई।

इसके बाद यह भी बातें सियासी हवा में तैरने लगी कि पांडेय को भाजपा टिकट देकर विधानसभा पहुंचा देगी, लेकिन भाजपा ने यहां परशुराम चतुर्वेदी को टिकट थमाकर उनके सियासी सपनों को तोड़ दिया।

इसके बाद पूर्व डीजीपी पांडेय का दर्द छलक गया। पांडेय ने सोशल मीडिया के आधिकारिक एकाउंट से पोस्ट किया, "अपने अनेक शुभचिंतकों के फोन से परेशान हूं, मैं उनकी चिंता और परेशानी भी समझता हूं। मेरे सेवामुक्त होने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं चुनाव लड़ूंगा लेकिन मैं इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा। हताश-निराश होने की कोई बात नहीं है। धीरज रखें, मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है। मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूंगा। कृपया धीरज रखें और मुझे फोन नहीं करें। बिहार की जनता को मेरा जीवन समर्पित है।"

यह कोई पहली बार नहीं है कि पांडेय का विधानसभा या लोकसभा पहुंचने का सपना टूटा है। इससे पहले करीब 11 साल पहले 2009 में भी पांडेय ने वीआरएस लिया था, तब चर्चा थी कि वे भाजपा के टिकट लेकर बक्सर लोकसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरेंगें, लेकिन उस समय भी उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया।

उधर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने बिहार के पूर्णिया में दलित नेता की हत्या में उन पर और उनके भाई तेजप्रताप पर हत्या के आरोप में मामला दर्ज कराने को एक साजिश बताते हुए कहा कि यह प्राथमिकी किसके दबाव में दर्ज कराया गया था, इसकी जांच होनी चाहिए।<span class="star"> </span>
<p id="content">तेजस्वी ने गुरुवार को पटना में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर कहा कि इस मामले में गिरफ्तार हुए लोगों ने अब अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है। इस मामले में पुलिस जांच में पूरी बात स्पष्ट हो गई है।</p>
पूर्णिया में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के एससी-एसटी प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश सचिव शक्ति मल्लिक की हत्या के मामले में तेजस्वी यादव ने बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम एक पत्र लिखकर इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी।

(एजेंसी इनपुट के साथ).