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अमिताभ ने मानसिक स्वास्थ्य पर कोरोना के असर के बारे में लिखा

कोरोनावायरस पॉजिटिव पाए जाने के बाद मुंबई के नानावटी अस्पताल में भर्ती महानायक अमिताभ बच्चन ने मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य पर कोरोनावायरस के खतरनाक प्रभावों के बारे में चर्चा की है। महानायक अभी किसी के संपर्क में नहीं हैं, लेकिन उनका ब्लॉग हमेशा की तरह अभी भी आ रहा है। इस बार ब्लॉग में उन्होंने अस्पताल के अपने अनुभव के बारे में बताया है।

उन्होंने लिखा, "रात के घने अंधेर में और एक ठंडे कमरे में, मैं गाता हूं। सोने की कोशिश में आंखें बंद करता हूं.. आपके पास कोई नहीं होता। कोरोनावायरस से पीड़ित मरीज की मानसिक स्थिति स्पष्ट दिखती है।"

उन्होंने साझा किया कि कैसे वह डॉक्टरों के साथ बातचीत करने में असमर्थ हैं।

उन्होंने कहा, "कई हफ्तों से किसी अन्य इंसान को नहीं देख सका। नर्स और डॉक्टर होते हैं, लेकिन वे हमेशा पीपीई यूनिट में दिखते हैं। आपको कभी पता नहीं चलता कि वे कौन हैं, उनकी बनावट और भाव कैसे हैं, क्योंकि वे हमेशा प्रोटेक्शन यूनिट में ढंके रहते हैं। सब सफेद हैं। उनकी मौजूदगी लगभग रॉबोटिक है। जो दवाइयां खाने के लिए दी जाती हैं, बस वहीं देने आते हैं और चले जाते हैं। चले इसलिए जाते हैं, क्योंकि कहीं संक्रमण उन्हें न हो जाए। जिन डॉक्टर्स की निगरानी में इलाज चल रहा है वे भी आपके पास नहीं होते हैं। वे मरीजों से वीडियो कॉल के जरिए बात करते हैं। अभी के हालात के लिए यही सबसे उचित है।"

अमिताभ कहते हैं कि साइकोलॉजिस्ट के मुताबिक इसका असर पड़ता है। यहां से निकलने के बाद भी मरीज डरे हुए रहते हैं। वे सार्वजनिक स्थानों पर जाने से डरते हैं। उन्हें डर लगता है कि लोग उनके साथ अलग तरह से व्यवहार करेंगे। ऐसे व्यवहार करेंगे जैसे आप वो बीमारी लेकर चल रहे हैं। इसे परियाह सिंड्रोम (छुआछूत का डर) कहते हैं। इससे लोग डिप्रेशन और अकेलेपन में जा रहे हैं।

अभिषेक बच्चन, ऐश्वर्य राय बच्चन और बेटी आराध्या भी कोरोनावायरस से पॉजिटिव पाए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती हैं।.