बिहार विधानसभा के चुनावों की डुगडुगी पिट चुकी है। 243 विधानसभा सीटों वाले बिहार में 28 अक्टूबर को पहले चरण और 3 नवंबर दूसरे चरण और 7 नवंबर को तीसरे चरण के लिए वोट डाले जाएंगे। इस बार के चुनाव जितना भारी मतदाताओं के लिए है उससे कहीं ज्यादा भारी और मुश्किल प्रत्याशियों के लिए है। चुनाव प्रचार पर निर्वाचन आयोग ने भारी प्रतिबंध लगाए हैं। मसलन, प्रचार में किसी भी दल के पांच लोग से ज्यादा एक साथ प्रचार नहीं कर सकेंगे। सभी को मास्क और ग्लब्स के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। बिहार में पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को होगा। दूसरे चरण का मतदान 3 नवंबर को और तीसरे चरण का मतदान 7 नवंबर होगा। अन्य राज्यों में उपचुनावों की तारीख की घोषणा बाद में होगी।
निर्वाचन आयोग ने 6 लाख पीपपीकिट 46 लाख मास्क की व्यवस्था की है। इस आन लाइन नॉमिनेशन 5 से ज्यादा लोग प्रचार नहीं करेंगे। बिहार में एक लाख पोलिंग स्टेशन होंगे तथा एक बूथ पर एक हजार से ज्यादा मतदाता नहीं रखे गये हैं।
एमपी और यूपी में भी उपचुनाव होने हैं लेकिन निर्वाचन आयोग ने उपचुनावों की तारीख घोषित नहीं की है। उनकी तारीखों की घोषणा बाद में किया जाएगा। मध्य प्रदेश की 27 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं। प्रदेश में 10 मार्च को कांग्रेस के 22 विधायक पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। तीन और कांग्रेसी विधायकों ने बीजेपी ज्वाइन करली थी तथा दो का देहावसान होगया। इस तरह कुल 28 सीटों पर एमपी में उपचुनाव होना है।
उत्तर प्रदेश में 8 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा ने प्रतिष्ठा का सवाल है। सरकार और संगठन की ओर से रणनीति बनाकर किला फतेह करने की कोशिश होने लगी है। जमीनी नब्ज टटोलने के लिए प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और सरकार के दोनों उपमुख्यमंत्री खुद मैदान पर उतरे हैं।
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