अनेकों एक्जिट पोल के नतीजों को धता बताते हुए एक बार फिर बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की सरकार बनने के आसार दिखाई दे रहे हैं। इस बार के चुनाव में सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आ रहा है कि बीजेपी बिहार में भी 'बड़े भाई' की भूमिका में उभर रही है। हालांकि, जैसे-जैसे रुझान साफ होंगे वैसे-वैसे बिहार की राजनीति रंग बदलती दिखाई देगी लेकिन इसी बीच यह सवाल भी उठ रहा है कि बीजेपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी उभरने के बावजूद नितीश को ही मुख्यमंत्री का पद सौंपेगी या फिर महाराष्ट्र की तरह बीजेपी अपना मुख्यमंत्री बनाएगी।
राजनीतिक पंडितों का कहना कि मत परिणामों की स्थिति और अधिक साफ हो जाए तो कहना अच्छा होगा लेकिन अगर जेडीयू की स्थित थोड़ा और बेहतर होती है तो नितीश कुमार ही अगले सीएम होंगे लेकिन बीजेपी का एक बड़ा धड़ा इस बार नितीश कुमार को मुख्यमंत्री पद न देने का दबाव बीजेपी आलाकमान पर डाल सकता है। चिराग पासवान से इस बार चमत्कार की उम्मीद की जा रही थी लेकिन अभी तक के रुझानों से लग रहा है कि शायद वो दहाई का आंकड़ा पार कर सकते हैं लेकिन अपने पिता राममविलास पासवान के अधिकतम आंकड़े (29 सीट) तक तो नहीं ही पहुंच पाएंगे। अगर चिराग पासवान 29-30 सीटें भी ले आते और मौजूदा रुझान का प्रतिशत अंत तक यही रहता तो नितीश कुमार को वास्ताव में संन्यास ही लेना पड़ सकता था।
बहरहाल, भारत की चुनावी राजनीति किस समय किसी भी और लुढ़क सकती है।.