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बिहार में बराबर सीटों पर लड़ सकते हैं भाजपा-जदयू

बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू बराबर सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। जीतनराम मांझी को केवल 5 सीटों से संतोष करना पड़ सकता है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से लोजपा के बाहर हो जाने के बाद 243 सीटों में से भाजपा और जदयू के बीच 119-119 सीटों पर चुनाव लड़ने के बारे में सैद्धांतिक रूप से सहमति हो जाने की खबरें आ रही हैं।

रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में हुई भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में पहले और दूसरे चरण के लिये उम्मीदवारों के नाम तय कर दिये गये और सोमवार दोपहर या शाम तक उनकी घोषण हो सकती है।

भाजपा और जदयू के बीच सीटों की संख्या को लेकर भले ही सहमति बन गई है लेकिन सीटों पर मतभेद बरकरार है। ऐसी करीब 50 सीटों के लेकर गठबंधन के दोनों सहयोगियों के बीच टकराव है जिन पर 2015 के चुनाव में भाजपा और जदयू के बीच सीधे कड़ी टक्कर देखने को मिली थी। ऐसी करीब आधी सीटों पर भाजपा और शेष पर जदयू की जीत हुई थी।

जानकारों का मानना है कि इसके लिये संभवत: मौजूदा चुनाव में जीत की संभावना को सबसे ज्यादा अहमियत देते हुये दोनों दल इन सीटों पर किसी एक समझौते के लिये राजी हो सकते हैं। इन सभी बाधाओं के बावजूद भाजपा और जदयू पहले और दूसरे चरण के लिये उम्मीदवारों के नाम तय करने में सफल हो गए हैं। जिसकी घोषणा सोमवार को कभी भी की जा सकती है।

बिहार के चुनाव में सबसे दिलचस्प मोड़ लोजपा के राजग से अलग होने से आया है। चिराग पासवान ने रविवार को हुई संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद यह फैसला लिया है। चिराग ने यह भी साफ कर दिया है कि वे भाजपा के साथ हैं और चुनाव में और उसके बाद भाजपा को समर्थन देंगे। लोजपा के विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा के साथ गठबंधन करने की भी संभावना जताई जा रही है।

(एजेंसी इनपुट के साथ).