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चीन को नया झटका देकर सरकार ने टीवी के आयात को प्रतिबंधित सूची में डाला

सरकार ने चीन जैसे देशों से विभिन्न आकारों के रंगीन टेलीविजन के आयात पर रोक लगाने के लिए इन्हें वस्तुओं की प्रतिबंधित सूची (रेस्ट्रिक्टेड लिस्ट) में डाल दिया है। घरेलू उत्पादन बढ़ाने और गैर-जरूरी उत्पादों के आयात में कमी लाने के उद्देश्य से उठाए गए इस कदम ने चीन जैसे देशों से आने वाले सामान पर शिकंजा कसा है।

रंगीन टेलीविजन के आयात पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक अब रंगीन टेलीविजन के आयात को मुक्त श्रेणी से निकालकर प्रतिबंधित सूची में कर दिया गया है। सरकार की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों का असर 36 सेमी. से 105 सेमी. के टीवी सेट सेट पर पड़ेगा।

प्रतिबंधित श्रेणी का मतलब है कि आयातकों को अब ऐसी वस्तुओं के आयात के लिए वाणिज्य मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय से लाइसेंस लेना पड़ेगा।

टीवी सेट के आयात पर रोक से से सरकार को उम्मीद है कि आत्मनिर्भर भारत मिशन को बढ़ावा दिया जाएगा, जो देश की विनिर्माण क्षमताओं को विकसित करके देश को आत्मनिर्भर बनाने पर केंद्रित है।

भारत में टीवी उद्योग लगभग 15,000 करोड़ रुपये का है जिसमें 36 प्रतिशत से अधिक मुख्य रूप से चीन और दक्षिण पूर्व एशिया से आयात के रूप में आ रहा है।

सरकार टीवी सेट्स के लिए निर्यात आयात नीति को बदल रही है, क्योंकि मौजूदा आसियान भारत एफटीए के तहत इनमें से कई आयात कम/शून्य शुल्क पर आ रहे हैं, जिन्हें बढ़ी हुई ड्यूटी के माध्यम से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। इसलिए आयात प्रतिबंध जैसी कार्रवाई सरकार के लिए उपलब्ध मुख्य कार्रवाइयों में से एक है।

अलग-अलग आकारों के सामान्य टीवी सेटों के अलावा 63 से.मी. से कम के एलसीडी टीवी सेट पर भी इसका असर पड़ेगा। यानी इस आकार से कम के एलसीडी को भी आयात की प्रतिबंधित सूची में शामिल किया गया है।

डीजीएफटी की अधिसूचना में कहा गया है कि इस 'अधिसूचना' में 'प्रतिबंधित' माल को आयात करने के लिए प्राधिकरण में आवेदन करने वाले आयातकों के लिए वास्तविक उपयोगकर्ता शर्त लागू नहीं होगी।

अधिसूचना में कहा गया है, लाइसेंस देने की प्रक्रिया अलग से डीजीएफटी द्वारा जारी की जाएगी।

सरकारी सूत्रों ने कहा कि उद्योग के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद और आयात को कम करने के तरीकों को खोजने के बाद ही यह कार्रवाई की गई है। सूत्रों ने कहा कि यह सरकार द्वारा उद्योग को विश्वास में लिए बिना की गई कोई एकतरफा कवायद नहीं है।.