खालिस्तानी अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह और उनके समर्थकों को निशाना बनाने वाली पंजाब पुलिस और केंद्रीय बलों की भारी कार्रवाई ने विदेशों में भारत विरोधी ताक़तों को झकझोर कर रख दिया है।
इस डिजिटल युग के ऐसे डरपोक और कायर, जो महज़ वर्चुअल स्मोकस्क्रीन के पीछे ही छिप सकते हैं, अमृतपाल सिंह और उसके समूह वारिस पंजाब डे पर भारत की कार्रवाई से रोकने को मजबूर करने के लिए खालिस्तान से सहानुभूति रखने वाले विदेशी तत्व सोशल मीडिया पर तुरंत हावी हो गये।
इसके नेतृत्व का भार कनाडा में रहने वाले एक शख़्स मो धालीवाल कर रहे हैं।
पंजाब में हुई इस कार्रवाई के तीन दिन बाद 21 मार्च को हताश धालीवाल ने बारबेडियन गायिका और अभिनेत्री रिहाना का दरवाज़ा खटखटाया। बहुत घिसे-पिटे मानवाधिकारों का हौवा खड़ा करते हुए धालीवाल ने ट्वीट किया, “अरे रिहाना, पंजाब को तुम्हारी ज़रूरत है। वहां नागरिक स्वतंत्रता निलंबित है। मानवाधिकारों का हनन हुआ है। संचार अवरुद्ध हो गया है।”
उनके ट्वीट का जवाब देते हुए ट्विटर यूजर BadGa1Kiki ने पूछा कि वह इस पर रिहाना को बोलने के लिए कितने पैसे देंगे। उस पर धालीवाल ने जवाब दिया: “जितना वह चाहे।”
मो कोई साधारण खालिस्तानी समर्थक ही नहीं है,बल्कि, वह पोएटिक जस्टिस फ़ाउंडेशन (PJF) चलाता है, जो एक ऐसा संगठन है, जिसे भारत में किसान आंदोलन के दौरान बदनामी मिली थी।
M Dhaliwal standing in the entrance of visa Consulate office in Vancouver on 26 JANUARY his uncle a Khalistani was killed by Punjab police after 1984 Riots pic.twitter.com/6RNXNrZC8N
— Naveen Kapoor (@IamNaveenKapoor) February 5, 2021
विरोध प्रदर्शनों के दौरान धालीवाल उस समूह का हिस्सा बन गए थे, जिसने रिहाना को उस आंदोलन के पक्ष में ट्वीट करने के लिए तैयार किया था। वेबसाइट ओपइंडिया के एक लेख के अनुसार, धालीवाल उस टूलकिट का हिस्सा था, जिसमें दिशा रवि, निकिता जैकब सहित कुछ भारतीय “एक्टिविस्ट” शामिल थे। उसके बाद रिहाना के साथ ग्रेटा थुनबर्ग और पूर्व पोर्नस्टार मिया ख़लीफ़ा जैसी अन्य शक्तिशाली हस्तियां भी शामिल हो गयी थीं, जिन्होंने सोशल मीडिया पर उस विरोध का समर्थन किया था।
फ़रवरी, 2021 की मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए ओपइंडिया के लेख में कहा गया है कि माना जाता है कि धालीवाल की फ़र्म स्काईरॉकेट ने रिहाना को उस एहसान बदले 2.5 मिलियन डॉलर का भुगतान किया था।
इस पीएफ़जे नेटवर्क में कनाडा की अनीता लाल भी शामिल हैं। उन्होंने PJF की सह-स्थापना की और संगठन की कार्यकारी निदेशक हैं। वह विंडमिल माइक्रोलेंडिंग में सामुदायिक सम्बन्ध विशेषज्ञ भी हैं।
दोनों ने किसान विरोध के दौरान ‘ग्लोबल डे ऑफ़ एक्शन’ नामक एक अभियान चलाया था, जिसे 3 जनवरी, 2021 तक देखा जा सकता है। ओपइंडिया के उस लेख में कहा गया है कि इन तस्वीरों को पीजेएफ़ और ‘आस्क इंडिया व्हाई’ सोशल मीडिया पेजों से डाउनलोड किया जा सकता है। वेक्टर प्रारूप में उपलब्ध उन्हें 10 फीट x 20 फीट के आकार तक प्रिंट किया जा सकता है।
PJF ने चालाकी से उन क्षेत्रों को निशाना बनाया था,जहां सिख बड़ी संख्या में रहते हैं। इन शीर्ष स्थलों में कनाडा, यूएस, यूके और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। अन्य लक्षित भौगोलिक क्षेत्रों में केन्या, डेनमार्क, इटली, मलेशिया, सिंगापुर, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड शामिल हैं।
यह विचार विशेष रूप से क्षेत्रीय संगठनों की संगत में प्रवेश करने को लेकर था ताकि सोशल मीडिया और मुख्यधारा या स्थानीय मीडिया को बड़े पैमाने पर भारत विरोधी प्रचार-प्रसार में शामिल किया जा सके।
इस टूलकिट का एक अन्य प्रमुख संदिग्ध जगमीत सिंह है। कनाडा के इस सांसद पर आतंकी फ़ंडिंग और खालिस्तान समर्थक तत्वों को शरण देने का आरोप लगाया गया है। उसने टीवी पर माना है कि रिहाना के साथ उनके अच्छे सम्बन्ध हैं।
Jagmeet Singh, Rupi Kaur, Simranjit Singh Mann, United Sikhs & 70 more Khalistan propaganda accounts withheld in India. @MIB_India @GoI_MeitY
Commendable! pic.twitter.com/8KFcB9ldIO— The Hawk Eye (@thehawkeyex) March 20, 2023
अब यह आशंका तो जतायी ही जा सकती है कि जैसे ही अलगाववादी अमृतपाल सिंह पर सरगर्मी बढ़ेगी, आभासी दुनिया के सभी खालिस्तानी स्लीपर सेल सोशल मीडिया की लहरों की सवारी करने के लिए सक्रिय हो जायेंगे। समस्या यह है कि भारत ने इस बार अपना होमवर्क पूरा कर लिया है और पूरी तरह सचेत हो चुका है।