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'विवादित ढांचा' मामले में फैसले से पहले इकबाल अंसारी की अपील- वर्जनाएं तोड़ रहे हैं मुसलमान!

'विवादित ढांचा' मामले में फैसले से पहले इकबाल अंसारी की अपील- वर्जनाएं तोड़ रहे हैं मुसलमान!

अयोध्या विवाद के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी को ईश्वर ने जो अक्ल अब आकर दी है अगर वही अक्ल उन्हें और उनके मरहूम वालिद हाशिम अंसारी को समय रहते आ जाती तो वो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे प्यारे शख्स होते। इकबाल अंसारी ने अयोध्या का विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में फैसला सुनाए जाने से पहले अदालत से अपील की है कि विवाद में नामजद सभी प्रतिवादियों को दोषमुक्त करार दिया जाए। हालांकि इकबाल अंसारी ने यह अपील सरयू  में काफी पानी बह जाने के बाद की है फिर भी इस अपील के भी मायने काफी महत्वपूर्ण हैं। इकबाल अंसारी की अपील को यह भी माना जा रहा है कि अब भारतीय मुसलमानों के नजरिए में बदलाव के तौर पर देखा ज रहा है। मुसलमानों का महत्वपूर्ण वर्ग कट्टरपंथी वर्जनाएं तोड़ रहा है वो देश के बहुसंख्यकों की आस्था का सम्मान और सहअस्तित्व की अवधारणा को स्वीकार कर रहा है।

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यह तो सभी जानते हैं कि सीबीआई की स्पेशल कोर्ट भी विवादित ढांचा गिराए जाने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में ही सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाए जाने का रास्ता को साफ कर दिया था लेकिन इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि विवादित ढांचा गिराया जाना गलत बताया था। यदि सीबीआई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के फैसले की इन लाइनों को ध्यान में रखकर फैसला सुनाती तो लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और उमा भारती जैसे दिगग्ज नेताओं के लिए भारी समस्या और बीजेपी की प्रतिष्ठा का प्रश्न बन सकता था। इकबाल अंसारी की सीबीआई कोर्ट से की गयी अपील से बीजेपी के बुजुर्ग और दिग्गज नेताओं के भविष्य पर लगा सवाल भी हट सकता है और बीजेपी की प्रतिष्ठा पर भी कलंक लगने से बच सकता है। यहां सन्दर्भ बीजेपी का नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का है।

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प्रणब मुखर्जी के बाद राष्ट्रपति पद के लिए जब तत्कालीन बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद के नाम का ऐलान हुआ तो प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह पर लोगों ने ताने कसे थे। आरोप लगाया था कि ये दोनों लालकृष्ण आडवाणी को राष्ट्रपति बनाना ही नहीं चाहते थे। क्यों कि अगर लालकृष्ण आडवाणी राष्ट्रपति बन जाते तो मोदी सरकार की मनमानी नहीं चल पाती। इसके अलावा और भी न जाने क्या-क्या आरोप प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री (तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष) अमित शाह पर लगे थे। उन हालातों को ध्यान रखें और सोचें कि अगर इकबाल अंसारी ने विवादित ढांचे को गिराने के सभी दोषियों को दोषमुक्त करने की अपील न की होती और सीबीआई अदालत आडवाणी समेत सभी को या कुछएक को दोषी ठहरादेती तो इसका आरोप भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही लगता। यह भी कहा जा सकता था कि 2024 के चुनावों को कथित निष्कंटक बनाने के लिए मोदी ने सभी बुजुर्गों को खुड्डे लाइन लगवा दिया, और पता नहीं क्या-क्या आरोप लगते।

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बहरहाल, इकबाल अंसारी को सीबीआई अदालत में विवादित ढांचा गिराने के सभी आरोपियों को दोषमुक्त करने की अक्ल खुद आयी या फिर किसी ने उन्हें यह अक्ल दी यह अलग है लेकिन इकबाल अंसारी की इस महत्वपूर्ण अपील ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी नेतृत्व को एक कलंक से बचाने का प्रयास किया है। यह भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि फैसले की घड़ी में सीबीआई अदालत इकबाल अंसारी की अपील को भी उतना ही महत्व देगी जितना इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है या नहीं यह आसंदी बैठे न्यायाधीश के विवेक पर निर्भर होगा। क्यों कि 28 साल का समय और करोड़ो रुपये सरकारी और अदालती कार्यवाही-कार्रवाई में जाया हो चुके हैं। आर्थिक क्षति की भरपाई तो संभव है लेकिन समय जो बर्बाद हुआ है वो इकबाल अंसारी की अपील से वापस नहीं आ सकता है। तो अब यह देखना बेहद महत्वपूर्ण होगा कि सीबीआई अदालत की आसंदी पर बैठे न्यायधीश क्या फैसला देते हैं।

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वैसे यह भी माना जा रहा है कि 30 सितंबर को अगर सभी आरोपी अदालत में पेशनहीं हो पाये तो फैसला टाला भी जा सकता है क्यों कि आरोपियों में से एक कल्याण सिंह कोरोना से पीड़ित हैं। अगर वो भी न्यायालय पहुंच जाते हैं तो फैसला सुना ही दिया जायेगा, वरना अदालत का क्या रुख होगा वो 30 सितंबर को ही पता चलेगा। फिर भी खास बात तो यह रहेगी ही कि अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में फैसले से दो सप्ताह पहले बाबरी मस्जिद केस के मुद्दई इकबाल अंसारी ने सीबीआई की स्पेशल कोर्ट से सभी आरोपियों को दोषमुक्त करार देने की अपील की है।

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अंसारी ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह सहित सभी 48 आरोपियों को निर्दोष ठहराने की अपील करते हुए इस पूरे मामले को समाप्त करने का अनुरोध किया है। इन आरोपियों में से 16 गोलोकावासी हो चुके हैं। 28 साल पुराने इस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, साक्षी महाराज, साध्वी ऋृतंभरा , विश्व हिंदू परिषद नेता चंपत राय सहित 32 आरोपी हैं। इनमें से साक्षी महाराज उन्नाव से बीजेपी के सांसद हैं और चंपत राय राममंदिर निर्माण ट्रस्ट के प्रमुख ओहदेदार हैं। साधवी ऋतंभरा अध्यात्म की राह पर हैं और उन्होंने वंदावन में वात्सलय ग्राम की स्थापना की है। उमा भारती राजनीति में हैं और बीजेपी में उनका अच्छा प्रभाव है।.