Hindi News

indianarrative

एलएसी पर पीछे नहीं हट रहा चीन, भारत लंबे गतिरोध के लिए तैयार

भारत और चीन के बीच के हुए सीमा विवाद के बाद पूर्वी लद्दाख में अवरोध की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसका कारण चीनी सैनिकों का वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से पीछे नहीं हटना है। चीन का यह रवैया दोनों देशों के बीच हुई वार्ता के दौरान बनी आम सहमति के विपरीत है।

भारत ने सैनिकों को पर्याप्त राशन और अन्य सामानों की आपूर्ति के लिए बड़े पैमाने पर लॉजिस्टिकल अभ्यास शुरू कर दिया है, क्योंकि टकराव के क्षेत्र में अभी भी अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।

बीते 14 जुलाई को कोर कमांडर स्तर की बैठक के दौरान एक रोडमैप तैयार किया गया था, जिसके अनुसार चीन को अपने सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाना था। अब चीन उस रोडमैप का पालन नहीं कर रहा है। चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवान पीछे नहीं हटे हैं।

भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों ने कहा कि चीनी सैनिक थोड़ा पीछे हटे थे और फिर वापस आ गए। इसलिए भारतीय और चीनी सैन्य प्रतिनिधियों के बीच बैठकों के दौरान तय हुई आम सहमति के निरंतर मौके पर सत्यापन की आवश्यकता है।

यह देखा गया कि भारतीय और चीनी सैनिकों ने पेंगोंग झील में 2 किलोमीटर तक अपने सैनिकों को पीछे हटाया है और फिंगर 4 खाली है। जबकि चीनी अभी भी रिज लाइन पर डेरा डाले हुए हैं। इससे यह स्पष्ट है कि चीनी फिंगर 4 पर डेरा डाले हुए हैं, जो परंपरागत रूप से भारतीय नियंत्रण में है। चीनी सैनिक फिंगर 8 से फिंगर 4 तक भारतीय क्षेत्र में आठ किलोमीटर तक अंदर आ गए थे। वहीं भारत का कहना है कि एलएसी फिंगर 8 से चलता है।

पैट्रोलिंग पॉइंट 14 कहे जाने वाले गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच की दूरी तीन किलोमीटर है, जबकि पैट्रोलिंग पॉइंट 15 पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच की दूरी करीब 8 किलोमीटर है।

हालांकि पैट्रोलिंग प्वाइंट 17 यानी हॉट स्प्रिंग्स में दोनों तरफ की 40-50 सैन्य टुकड़ियां सिर्फ 600-800 मीटर की दूरी पर हैं। चीनी सेना आम सहमति के अनुसार पीछे हट गई थी, लेकिन फिर से लौट आई।

चीनी रवैये को देखते हुए भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को भारतीय वायु सेना की परिचालन क्षमताओं और फॉरवार्ड लॉकेशन पर तैनाती की समीक्षा करते हुए बल को चीन के साथ सीमा पर किसी भी तरह की घटना को संभालने के लिए तैयार रहने का आग्रह किया।

सिंह ने यह आग्रह बुधवार को नई दिल्ली में तीन दिवसीय एयर फॉर्स कमांडर्स कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन के दौरान कहा था।

मंत्री ने पिछले सप्ताह अपने लद्दाख दौरे के दौरान कहा था कि भारत शांति चाहता है लेकिन चीन के साथ वार्ता के अंतिम परिणाम की कोई गारंटी नहीं है।.