<p style="font-weight: 400;">ठीक एक साल पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान नियाजी ने इस्लामाबाद में राष्ट्रीय माइनॉरिटी डे पर आयोजित एक समारोह में देश में मौजूद सभी अल्पसंख्यकों से वादा करते हुए कहा था कि वो ज़बरदस्ती धर्म परिवर्तन करने वालों को कड़ी सज़ा देंगे और उनके धार्मिक स्थलों की रक्षा करेंगे।</p>
<p style="font-weight: 400;">इमरान ने कहा था कि इस्लाम इस क्रूरता की इजाजत नहीं देता और जो लोग ये जबरन कर रहे हैं, उनका मानसिक इलाज़ कराने की ज़रूरत है।</p>
<p style="font-weight: 400;">तालियों की गड़गड़ाहट सुनने और वाहवाही लूटने के बाद प्रधानमंत्री साहब तो घर लौट आए लेकिन पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की हालत ज्यूँ की त्यूँ रही, बल्कि बद से बदतर हो गई।</p>
<blockquote class="twitter-tweet">
<p dir="ltr" lang="en">Hindυs were trying to construct a Krishna Mandir in Islαmαbad when the local youth came and demolished it.</p>
Hindυs have no place in Pαkistαn, they only have sheer hate and disrespect <a href="https://t.co/BtHFKJp3t1">pic.twitter.com/BtHFKJp3t1</a>
— Ninda Turtle (@NindaTurtles) <a href="https://twitter.com/NindaTurtles/status/1279446293887086593?ref_src=twsrc%5Etfw">July 4, 2020</a></blockquote>
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<p style="font-weight: 400;">ज़रा देखिए पाकिस्तान के हालात। ये पिछले महीने का वीडियो है जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। दरसल इस्लामाबाद में आखिरकार पहली बार एक हिन्दू मंदिर को बनाने की इजाज़त दी गई थी। पाकिस्तान में हिन्दू तो नाम के ही रह गए हैं, जो बचे खुचे हैं उन्होंने खुशियां मनाई की अब होली, दिवाली पर कम से कम मंदिर में पूजा करने का मौका तो मिलेगा। इमरान ने भी मंदिर के लिए फंड रीलीज़ करने के अपने फैसले की खूब पब्लिसिटी की। लेकिन, देखिए ज़रा क्या हुआ।
<blockquote class="twitter-tweet"><p lang="en" dir="ltr">Azaan on that desecrated temple in Islamabad. How low can Pakistanis stoop?? <a href="https://t.co/hcOzH3cyoy">pic.twitter.com/hcOzH3cyoy</a></p>— औरंगज़ेब (@__phoenix_fire_) <a href="https://twitter.com/__phoenix_fire_/status/1280340239853080579?ref_src=twsrc%5Etfw">July 7, 2020</a></blockquote> <script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>
इस्लामी कट्टरपंथियों के बीच भला ये कृष्ण मंदिर कैसे बन पाता? अभी नींव और बाहरी दीवार ही तैयार हुई थी की जिहादियों की एक भीड़ ने सब तोड़ डाला और उस जगह पर नमाज़ पढ़ कर अपना इरादा भी साफ़ कर दिया। अब तो फतवा भी जारी हो गया है।</p>
https://www.youtube.com/watch?v=LpVcguJZNwY&feature=youtu.be
<p style="font-weight: 400;">जून में मंदिर और जुलाई में गौतम बुद्ध की प्रतिमा। पाकिस्तान कैसे धार्मिक असहिष्णुता के समंदर में डूब गया है, इसका एक और सबूत पिछले सप्ताह के इस वीडियो से मिल गया है। खैबर पख्तूनख्वा में तख़्त-ए-बाहर का ये इलाका गंधार युग से अब तक किसी तरह से से बचा हुआ था। यहां खुदाई के वक्त गौतम बुद्ध की एक बड़ी प्रतिमा मिली जो 1700 साल पुरानी बताई जा रही है। लेकिन एक मौलवी के आदेश पर इसे गैर-इस्लामिक बताते हुए हथोड़े से चकनाचूर कर दिया गया। पाकिस्तानी पर्यटन विभाग सोता रहा या फिर सब जानकार भी अनजान बना रहा।</p>
<p style="font-weight: 400;">वैसे इसमें ज्यादा आश्चर्य होने की अधिक आवश्यकता नहीं है। पाकिस्तान में पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, गिलगिट-बल्टिस्तान में किसी भी जगह अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थल अगर बचे हैं, तो इसी हाल में हैं।</p>
<p style="font-weight: 400;">इमरान खान कितना भी सीना ठोंक के अपनी सरकार का गुणगान कर लें, संयुक्त राष्ट्र या फिर विश्व के सभी बड़े देश जानते हैं कि पाकिस्तान में न सिर्फ हिंदू, ईसाई, बौद्ध बल्कि हर अल्पसंख्यक समुदाय के साथ ज़ुल्म हो रहे हैं। वहां तो अहमदिया मुस्लिम भी नहीं बख्शे जा रहे हैं।</p>.