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पाकिस्तानी सीनेट में कश्मीरी अलगाववादी गिलानी की प्रशंसा में प्रस्ताव पारित

पाकिस्तानी सीनेट ने कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी की प्रशंसा में एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें सरकार से आग्रह किया गया कि वह उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'निशान-ए-इम्तियाज' से सम्मानित करे।

भारत सरकार के लिए यह एक आश्चर्यचकित करने वाली घटना है, जिसने एक बार फिर से गिलानी जैसे कट्टर कश्मीरी अलगाववादी नेता के प्रति पाकिस्तान के खुले समर्थन को जाहिर कर दिया है। इस कदम पर निश्चित रूप से भारत सरकार की ओर से कोई जोरदार प्रतिक्रिया आएगी, जिसने कश्मीर में पाकिस्तान के 30 सालों के छद्म युद्ध के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है।

इस प्रस्ताव को पाकिस्तान सीनेट ने पूर्ण सर्वसम्मति से पारित किया, और सैयद अली गिलानी के संघर्ष को अथक बताया। सरकार और विपक्ष दोनों ने प्रस्ताव को मिलकर पेश किया, और बीमार कश्मीरी नेता की अटूट प्रतिबद्धता, समर्पण, दृढ़ता और नेतृत्व के लिए सराहना की।

प्रस्ताव में भारतीय हिस्से वाले कश्मीर में भारतीय अत्याचार, दमनकारी कदमों और मानवाधिकार उल्लंघनों को बेनकाब करने के लिए भी गिलानी की प्रशंसा की गई है।
पाकिस्तानी सीनेट ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब मोदी सरकार द्वारा जम्मू एवं कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने को पांच अगस्त को एक साल पूरा होने वाला है।

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 और 35ए को समाप्त कर दिया और जम्मू एवं कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। तभी से जम्मू एवं कश्मीर लॉकडाउन की स्थिति में रहा है, और घाटी में कर्फ्यू लागू रहा है।

तहरीक-ए-हुर्रियत के नेता सयद अली गिलानी कश्मीर पर भारत के खिलाफ पाकिस्तान के रुख के समर्थक रहे हैं। वह भारत से आजादी और पाकिस्तान के साथ एकीकरण की मांग करते रहे हैं। गिलानी और हुर्रियत के अन्य नेता अतीत में कई बार हिरासत में रह चुके हैं।

90 वर्षीय गिलानी बीमार हैं और उन्हें नजरबंद किया गया है, जिसे लेकर पाकिस्तान ने गहरी चिंता जाहिर की है और इसे अनुचित करार दिया है। पाकिस्तानी सीनेट में पारित प्रस्ताव में संघीय सरकार को प्रस्ताव किया गया है कि वह इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तान यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजीज (पीयूईटी) का नाम बदल कर सैयद अली शाह गिलानी यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड इमर्जिग साइंसेस (एसजीयूईईएस) कर दे।

प्रस्ताव में कहा गया है, "सैयद अली शाह गिलानी के संघर्ष को संघीय और प्रांतीय स्तर पर शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए और गिलानी को उनकी पसंद के स्थान पर सबसे अच्छी चिकित्सा सुलभ कराने में मदद के लिए दुनिया की चेतना को जगाया जाए।"

पाकिस्तान के इस कदम से ठीक कुछ घंटों पहले गिलानी ने जम्मू एवं कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के खिलाफ पांच अगस्त और 15 अगस्त को एक हड़ताल आयोजित करने की घोषणा की।

गिलानी ने एक बयान में कहा, "पांच अगस्त कश्मीर के इतिहास का एक सबसे काला अध्याय है। उस दिन को एक जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए और दुनिया भर में मौजूद कश्मीरी प्रवासियों को भारतीय दूतावासों के बाहर विरोध प्रदर्शन करना चाहिए।".