अपनी फ़िल्म “द कश्मीर फ़ाइल्स” पर भद्दे और प्रतिकूल टिप्पणियों और विचारों का खामियाजा भुगतने के बाद निर्देशक विवेक अग्निहोत्री को उस सुदीप्तो सेन के साथ सहानुभूति है, जिनकी “द केरला स्टोरी” अब एक उग्र विवाद के केंद्र में है।
अग्निहोत्री की फ़िल्म ने कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और उनके जबरन प्रवास के बारे में दस्तावेज़ के रूप में लोगों को झकझोर कर रख दिया था। अब उन्होंने निर्माता विपुल शाह को उनके इस साहस भरे प्रयास के लिए ट्विटर पर अपने खुले पत्र में बधाई देते हुए उन्हें “अकल्पनीय घृणा” का सामना करने को लेकर चेतावनी दी है।
CINEMA AND INDIC RENNIASANCE:#TheKeralaStory
I grew up listening to great filmmakers and cinema critics that the only purpose of art is to provoke people into questioning their own beliefs and biases.
I also grew up listening that cinema reflects the reality of a society.
I…
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) May 6, 2023
“केरल स्टोरी” इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे युवा लड़कियों और महिलाओं को जबरन इस्लाम में धर्मांतरित किया गया और फिर इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक़ एंड सीरिया में भर्ती किया गया। फ़िल्म के ट्रेलर में दावा किया गया है कि 32,000 महिलाओं का धर्मांतरण कर सीरिया भेज दिया गया है, जहां इस कट्टरपंथी समूह का नियंत्रण है।
चूंकि यह फ़िल्म भारत और इस्लाम का अनुसरण करने वाले उन लोगों के बारे में बात करती है,जो देश का दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समूह है।ज़ाहिर है कि राजनेताओं, अल्पसंख्यक समुदाय और इसके नेताओं और निश्चित रूप से देश की धर्मनिरपेक्ष साख का बचाव करने में विश्वास करने वालों के बीच इस पर प्रतिक्रिया आना स्वाभाविक था।
जब फ़िल्म का ट्रेलर रिलीज़ हुआ था, तो उसमें 32 हज़ार महिलाओं को इस्लाम में धर्मांतरित करने की बात कही गयी थी और मुसलमानों को यह आंकड़ा बिल्कुल बेतूका लगा था। इसलिए, लोगों ने डायरेक्टर और विपुल शाह से इस दावे को साबित करने को कहा। इनमें मुस्लिम यूथ लीग की केरल राज्य समिति और एक मुस्लिम वकील और अभिनेता शामिल थे।
The trailer of The Kerla Story is so heart touching. They showed so many thing about conversation to terrorism of girls in this movie.
The Kerala Story
Akk#SaveOurDaughterspic.twitter.com/U0pHNLW8Yf— Ram Putra Love (@AnilKum25570045) April 30, 2023
हम थोड़ी देर के लिए मान भी लें कि सभी मामलों को सामने लाना और इस मामले में 32,000 लड़कियों की बात कर पाना असंभव होगा। शायद इसे महसूस करते हुए ही टीज़र को “केरल की तीन युवा लड़कियों की सच्ची कहानियां” के रूप में बदल दिया गया ।
फिर भी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि धर्मांतरण तो हुआ है। ‘द केरल स्टोरी’ कथित तौर पर उन चार महिलाओं की कहानी पर आधारित है, जो मुस्लिम बन गयी और आईएसआईएस में शामिल होने के लिए अपने पतियों के साथ अफ़ग़ानिस्तान चली गयीं। इस समय चारों अफ़ग़ानिस्तान की जेल में हैं।
वे हैं- निमिशा उर्फ फ़ातिमा ईसा, मेरिन जैकब उर्फ़ मिरियम, सोनिया सेबेस्टियन उर्फ़ आयशा और राफ़ेला। उनका साक्षात्कार स्ट्रैटन्यूजग्लोबल वेबसाइट द्वारा “खोरासन फ़ाइल्स: द जर्नी ऑफ़ इंडियन इस्लामिक स्टेट विडोज” शीर्षक के तहत प्रकाशित किया गया था। सेन की फ़िल्म जो कुछ कहती है,वह उन चार लड़कियों की की कहानी का उपयोग एक बड़ा नैरेटिव बनाने के लिए करती है।
पाठकों को ध्यान देने की आवश्यकता है कि इस फ़िल्म का विरोध करने के लिए जिस पैटर्न का पालन किया गया है, वह काफ़ी हद तक “द कश्मीर फ़ाइल्स” के विरोध के दौरान किया गया था। पहले कश्मीरी प्रवासियों की संख्या पर विवाद हुआ और फिर दावा किया गया कि पलायन कभी हुआ ही नहीं ! “द केरला स्टोरी” के मामले में भी यही उम्मीद की जा सकती है।
इन फ़िल्मों पर विवाद और उन पर प्रतिबंध लगाने से पता चलता है कि लोग उन संस्थानों को कैसे देखते हैं, जो बनाये गये हैं और भारत को वास्तव में लोकतांत्रिक बनाने के लिए काम करते हैं। देश में एक केंद्रीय फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड है, जिसे “सिनेमैटोग्राफ़ अधिनियम, 1952 के प्रावधानों के तहत फ़िल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन को विनियमित करने” का काम सौंपा गया है। “द केरल स्टोरी” “ए” प्रमाण पत्र के साथ पास हुई और 10 दृश्यों को हटाने का सुझाव दिया गया।
दिलचस्प बात यह है कि जिन लोगों के हवाले से यह फ़िल्म आगे बढ़ती है,उनमें से एक केरल के पूर्व मुख्यमंत्री हैं।उन्होंने अपने एक साक्षात्कार में कथित तौर पर कहा था कि अगले 20 वर्षों में राज्य बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के कारण मुस्लिम-बहुसंख्यक बन जायेगा। दूसरा विवाद उस दृश्य से संबंधित है, जिसमें “संवाद और सभी हिंदू देवताओं के लिए अनुचित संदर्भ” हैं।
This is called 'Real Fascism'
Bengal police came to stop a housefull show of 'The Kerala Story' pic.twitter.com/5LyQDdfQCo
— THE INTREPID 🇮🇳 (@Theintrepid_) May 9, 2023
अनुभवी अदाकारा शबाना आज़मी ने ट्वीट किया कि इस फ़िल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग करना ग़लत है, क्योंकि यह सीबीएफ़सी द्वारा पारित किया गया है। उन्होंने लिखा “… किसी को अतिरिक्त संवैधानिक प्राधिकरण बनने का अधिकार नहीं है।”
टीज़र को देखकर इस फ़िल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी। सीबीएफ़सी की प्रभावशीलता को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अनुरोध पर विचार करने से इनकार कर दिया और कहा, “यदि आप इस फ़िल्म की रिलीज को चुनौती देना चाहते हैं, तो आपको प्रमाणन को उचित मंच के माध्यम से चुनौती देनी चाहिए।”
नागरिकों के रूप में हर कोई अपनी आस्था के बावजूद भारत के लोकतंत्र के अधिकारों और लाभों का इस्तेमाल करता है और इसके लिए ज़रूरी है कि देश की संस्थाओं का भी सम्मान किया जाए !
इस बीच, राजनीतिक दल विरोध के बैंडबाजे के साथ हो लिए हैं और विरोधी रुख़ अपना लिया है, जिनमें से कई एक निश्चित समुदाय के तुष्टिकरण को दर्शाते हुए सीबीएफ़सी जैसी संस्थाओं के अधिकार को कमज़ोर करते हैं। इस क़वायद में राज्य सरकारें भी पीछे नहीं हैं। कांग्रेस ने इस फ़िल्म की निंदा की है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इस पर बैन लगाने का फ़ैसला कर लिया है। वीडियो के साथ एक ट्विटर पोस्ट में पुलिस को इसे लागू करते हुए भी दिखाया गया है। इसे देखते हुए आश्चर्यज होता है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेतृत्व वाली केरल सरकार, जिसके मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन हैं,उन्होंने इस फ़िल्म के ख़िलाफ़ बयान जारी तो किया है,लेकिन इस पर प्रतिबंध नहीं लगाया है।
बीजेपी शासित मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश ने इस फ़िल्म को टैक्स फ़्री करने का फ़ैसला किया है। महाराष्ट्र में जहां बीजेपी सरकार का हिस्सा है, वहां अधिकारियों ने फ़िल्म निर्माताओं और प्रदर्शकों को सुरक्षा का आश्वासन दिया है।
इस फ़िल्म की मुस्लिमों की ओर से की जा रही अनावश्यक रूप से आलोचना को लेकर पैदा किये गये हंगामे के बीच यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि कहानी विशेष रूप से आईएसआईएस और उसके हमदर्दों के बारे में बात करती है। कहीं भी मुसलमानों की निंदा या आतंकवादी के रूप में नहीं दिखाया गया है। किसी ऐसी चीज़ के बारे में इतना आहत महसूस करना ठीक नहीं, जो मौजूद ही नहीं है!
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि आईएसआईएस ने भारत से पुरुषों और महिलाओं की भर्ती की थी। यह 2013 में सामने आया था। आईएसआईएस ने धर्मांतरण को प्रोत्साहित करने और उन्हें अफ़ग़ानिस्तान और सीरिया में शामिल करने के लिए मॉड्यूल स्थापित किए। केरल से कई लोग शामिल हुए। आतंकवाद पर अपनी 2020 की रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि बड़ी संख्या में आईएसआईएस आतंकवादी थे, जो केरल से थे।
प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया ने भी ग़ैर-मुस्लिमों के कट्टरपंथ और धर्मांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 2022 में कोच्चि की एक अदालत में सौंपी अपनी रिपोर्ट में इस पर प्रकाश डाला है।
जहां धर्मान्तरित आईएसआईएस की लड़ाई लड़ने के लिए आगे बढ़ रहे थे, वहीं उनकी कहानियां 2016 में सामने तब आयीं, जब कई महिला-पुरुषों को अफ़ग़ानिस्तान में पकड़ा गया और जांच की गयी। द केरला स्टोरी की चार महिलायें भी उन्ही में से एक थीं, जो उस 21 सदस्यीय समूह का हिस्सा थीं, जो 2016 में अपने पतियों के साथ आईएसआईएस का हिस्सा बनी थीं।
अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा इस फ़िल्म की तारीफ़ करने या इसका समर्थन करने वालों को पहले से ही धमकियां दी जा रही हैं। यदि वे ऐसी फ़िल्म को बर्दाश्त नहीं कर सकते, जो वास्तविक जीवन की घटनाओं पर आधारित हो, तो उन्हें यह तय करने का अधिकार नहीं है कि दूसरों को इस पर कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। उन्हें यह बताने की ज़रूरत है कि उनका हाथ हिलाने का अधिकार वहीं खत्म हो जाता है, जहां से दूसरों की नाक शुरू होती है !