भारतीय मूल के चार अमेरिकियों ने एक बार फिर से हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स (प्रतिनिधि सभा) का चुनाव जीत लिया है। भारतीय मूल के इन अमेरिकियों के समूह को 'समोसा कॉकस' का नाम दिया गया है। अब चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद यह भी सुनिश्चित हो गया है कि वे एक बार फिर से कांग्रेस प्रतिनिधि के तौर पर चाय की चुस्कियां लेंगे।
चार डेमोक्रेट्स ने मंगलवार को हुए चुनाव में जीत दर्ज कर ली है, जबकि एक अन्य नेता अपने निर्वाचन क्षेत्र में आगे चल रहे हैं और उनके जीतने की संभावना भी बनी हुई है। उनके निर्वाचन क्षेत्र में वोटों की गिनती अभी भी जारी है।
राजा कृष्णमूर्ति को इतना जबरदस्त उम्मीदवार माना जाता है कि रिपब्लिकन पार्टी ने इलिनोइस में उनके खिलाफ उम्मीदवार ही नहीं उतारा। उन्होंने लिबर्टेरियन पार्टी के उम्मीदवार को 41.8 प्रतिशत से हराया। भारत की एक कठोर आलोचक प्रमिला जयपाल ने वाशिंगटन राज्य से अपने रिपब्लिकन पार्टी के प्रतिद्वंद्वी को 69.6 प्रतिशत के बड़े अंतर से हराया।
रो खन्ना ने भी कैलिफोर्निया निर्वाचन क्षेत्र से बड़ी जीत दर्ज की। उन्होंने 74.6 प्रतिशत वोट प्राप्त किए और रिपब्लिकन रितेश टंडन को बुरी तरह हरा दिया। टंडन को केवल 25.4 प्रतिशत वोट ही मिल सके। कैलिफोर्निया से एक और नेता अमरी बेरा ने अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी से 22.8 प्रतिशत के अंतर से जीत दर्ज की।
हालांकि कैलिफोर्निया से एक भारतीय मूल की नेता को हार का सामना करना पड़ा जो रिपब्लिकन पार्टी की ओर से चुनाव मैदान में थीं। सदन पहुंचने की दौड़ में शामिल निशा शर्मा डेमोक्रेट उम्मीदवार मार्क डिसौलनियर ने 50.6 प्रतिशत से हराया।
एरिजोना से एक और भारतीय-अमेरिकी हिरल टिपिरनेनी ने बुधवार को अलसुबह तीन बजे तक गिने गए मतों के साथ बढ़त बनाई हुई है। उन्होंने 29 प्रतिशत मतों के साथ अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डेविड श्वेकिर्ट से 3.4 प्रतिशत की बढ़त बनाई हुई है।
भारतीय धर्मनिरपेक्षतावादियों, डेमोक्रेटिक पार्टी के उदारवादियों और इस्लामवादियों के एक अभियान के बाद टेक्सास में एक मजबूत उम्मीदवार माने जाने वाले प्रेस्टन कुलकर्णी 7.3 प्रतिशत मतों से हार गए। उन पर आरोप लगाया गया था कि उनका हिंदुत्ववादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबंध है। पूर्व अमेरिकी राजनयिक ने पिछले साल ह्यूस्टन में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मोदी की 'हाउडी मोदी' रैली में भाग लिया था और उनके चुनाव अभियान में योगदान दिया था।
रिपब्लिकन मंगा अनंतमुला को डेमोक्रेट उम्मीदवार गैरी कोनोली से वर्जीनिया में 43.4 प्रतिशत की करारी हार का सामना करना पड़ा। तुलसी गाबार्ड, जो भारतीय मूल की नहीं हैं, लेकिन सदन के लिए चुनी गईं पहली हिंदू हैं, वह डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के नामांकन के लिए असफल होने के बाद फिर से चुनाव में नहीं उतरीं। जबकि रिपब्लिकन रितकिन मेहता को सीनेट की दौड़ को कोरी बुकर से 22.7 प्रतिशत से हार का सामना करना पड़ा।
राज्य स्तर पर, नीरज अंटानी ओहियो राज्य सीनेट के लिए चुने गए। वह तीन बार से राज्य प्रतिनिधि सभा के सदस्य रहे हैं। उन्होंने पहली बार तब जीत दर्ज की थी, जब वह केवल 23 वर्ष के थे और उस समय वे देश के सबसे युवा प्रतिनिधि में से एक बने थे।
न्यूयॉर्क में केविन थॉमस को एक बार फिर से राज्य सीनेटर के तौर पर चुना गया। फिल्म निर्माता मीरा नायर के बेटे जोहरण मामदानी ने न्यूयॉर्क राज्य की सीट पर जीत दर्ज की।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के साथ ही हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स का चुनाव भी होता है, जिसमें भारतीय मूल के अमेरिकी लोगों ने फिर से जीत दर्ज की है। यह अमेरिकी संसद का निचला सदन है।.