अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ लड़ाई की तैयारी शुरू हो गई है। नॉर्दन अलायंस फिर से एकजुट हो रहा है। तालिबान पूरे देश पर काबिज हो गया है, लेकिन पंजशीर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। इस बीच, पंजशीर का शेर कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने अमेरिका से मदद मांगी है। मसूद मे अमेरिका से तालिबानियों से लड़ने के लिए हथियार मांगा है।
अफगानिस्तान में ताजिक मूल के लोगों में हीरो के तौर पर पहचान रखने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अमहद मसूद इस विद्रोह के अगुवा हैं। मसूद के साथ खुद को अफगानिस्तान का केयरटेकर राष्ट्रपति घोषित करने वाले अमरुल्लाह सालेह भी इसके नेता हैं। लेकिन अब इन दोनों के साथ एक ऐसे वारलॉर्ड का नाम भी शामिल हो गया है जिसे तालिबान के खिलाफ पटखनी देने के लिए पहचाना जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक विरोधी गुट के नेताओं ने यह दावा किया है कि उन्हें अब्दुल रशीद दोस्तम का साथ मिल चुका है। गुट का कहना है कि दोस्तम की उज्बेक सेना भी अब उनकी तरफ से लड़ेगी। कहा जा रहा है कि दोस्तम के साथ विरोधी गुट के नेताओं की जल्द बैठक होगी और फिर साथ मिलकर आगे की लड़ाई लड़ी जाएगी।
तालिबान विरोधी फौजें पंजशीर में इकट्ठा हो रही हैं। इनमें अफगानिस्तान के वॉर लॉर्ड कहे जाने वाले जनरल अब्दुल रशीद दोस्तम, अता मोहम्मद नूर के सैनिक और अहमद मसूद की फौजें शामिल हैं। इन फौजों का मंसूबा आस-पास के इलाकों पर भी कब्जा करने का है। हालांकि, इन फौजों के पास तालिबान से लड़ने लायक हथियार नहीं हैं। पंजशीर अकेला ऐसा प्रांत है जो अब तक तालिबान के कब्जे से बाहर है।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह भी पंजशीर के रहने वाले हैं। उनका जन्म यहां अक्टूबर 1972 में हुआ था। 1996 में तालिबानियों ने ताजिक मूल के सालेह की बहनों की हत्या कर दी थी। पंजशीर की आबादी 1 लाख 72 हजार के करीब है। यहां रहने वाले ज्यादातर लोग ताजिक समुदाय के हैं। पंजशीर की लोकेशन प्राकृतिक किले की तरह है, इसलिए तालिबानी इस पर हमला करने से कतराते हैं।