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America के एक झटके से बैखलाए Imran Khan, उतर गया तालिबानी हुकूमत का चढ़ा रंग

तालिबान की हुकूमत का चढ़ा रंग उतार तो Pakistan को याद आया अमेरिका

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जा करने के बाद से पाकिस्तान को अपनी खुशी का ठीकाना नहीं है। तालिबान के अफगानिस्तान में कब्जा करने में सबसे बड़ा हाथ पाकिस्तान और चीन का रहा है। पाकिस्तान अब तालिबान का खुलकर समर्थन कर रही है और दुनिया के देशों से अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता दिलाने की भरपूर कोशिस कर रही है। इमरान खान का कहना है कि, अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता के लिए तालिबान के साथ जुड़ना सबसे सही तरीका है।

अपने एक दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि, तालिबान का पूरे अफगानिस्तान पर नियंत्रण है। अगर तालिबान सभी गुटों को साथ लेकर समावेशी दृष्टिकोण से चलता है तो अफगानिस्तान में 40 सालों के बाद शांति संभव है। इसके साथ ही अफानिस्तान में महिलाओं के हाल पर बात करते हुए इमरान खान ने कहा कि, कोई बाहर से आकर अफगानिस्तान में महिलाओं को अधिकार नहीं दिला सकता है। देश की महिलाओं मजबूत हैं, उन्हें वक्त गें, उन्हें उनके अधिकार मिलेंगे, अफगानिस्तान को बाहरी ताकत नहीं नियंत्रित कर सकती हैं।

इसके साथ ही अमेरिका को लेकर इमरान खान ने कहा कि, अफगानिस्तान के हालात का सबसे अधिक नुकसान पाकिस्तान को हुआ है। हम अमेरिका के लिए किराए की बंदूक की तरह थे। हमसे उम्मीद थी कि हम अमेरिका को अफगानिस्तान युद्ध जिता दें, जो नहीं हो सका। हमने बार-बार अमेरिका से कहा कि वह अपने सैन्य उद्देश्यों को अफगानिस्तान में पूरा नहीं कर सकता है। अमेरिका को तालिबान के साथ राजनीतिक समझौते की कोशिश करनी चाहिए थी।

इसका साथ ही इमरान खान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से कॉल पर बातचीत नहीं होने से नाराज चल रहे हैं। इसे लेकर पाक प्रधानमंत्री ने कहा कि, मुझे लगता है कि, वह बहुत व्यस्त चल रहे हैं लेकिन अमेरिका के साथ हमारा रिश्ता सिर्फ फोन कॉल पर निर्भर नहीं है बल्कि एक बहुआयामी संबंध होना चाहिए।

बताते चलें कि, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने हाल ही में कहा था कि, अमेरिका अब पाकिस्तन के साथ अपने संबंधों को पुनर्मूल्यांकन करेगा। उनके इस कमेंट को अज्ञानता बताया है। इमरान खान ने कहा कि, मैं ऐसी बेरुखी कभी नहीं देखी। अमेरिका को सहयोग करते हुए हजारों पाकिस्तानियों ने अपनी जान गंवाई है। सिर्फ इसलिए कि हमने अमेरिका का साथ दिया, हम 9/11 और अफगानिस्तान में युद्ध के बाद अमेरिका के साथी बन गए लेकिन किसी और के युद्ध के चलते हम पाकिस्तान को बर्बाद नहीं कर सकते हैं।