अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जा के बाद कई देश अपने काबुल स्थित दुतावास को बंद करते हुए अपने नागरिकों को वहां से निकाल रहे हैं। अमेरिका भी अफगानिस्तान से अपने नागरिकों को निकाल रहा है लेकिन इस दौरान अफगानिस्तान के नागरिक तालिबानी कानून के डर से अपना देश छोड़कर पलायन करने पर मजबूर हैं और अब तक अमेरिका, भारत समेत कई देशों में पलायन कर रहे हैं। इस बीच अमेरिका कई हजार अफगानी नागरिकों को वहां से निकाल कर अमेरिका ले आया है। हालांकि, यूएस कुछ खास ही अफगानियों को अपने देश आने की अनुमति दिया।
जिन अफगानी नागरिकों को अमेरिका अपने साथ ले गया वो खासकर वो लोग हैं जिन्होंने देश के युद्ध में 20 साल की भागीदारी के दौरान अमेरिकी सेना की मदद की थी। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि 31 अगस्त की डेडलाइन तक सभी अमेरिकियों को अफगानिस्तान से निकाल लिया जाएगा। वहीं, ब्लिंकन ने कहा है कि 31 तक उनका अभियान खत्म नहीं हो रहा है। अगर लोग 31 के बाद भी अफगानिस्तान छोड़कर जाना चाहते हैं तो वो उनकी मदद करेंगे। व्हाइट हाउस का कहना है कि अमेरिका ने 14 अगस्त से अब तक 1 लाख 9 हजार से ज्यादा लोगों को अफगानिस्तान से निकाला लिया है। हालांकि अमेरिकी सरकार ने यह कहने से इनकार कर दिया है कि काबुल से निकासी शुरू होने के बाद अमेरिका में कितने अफगान आए हैं या उन लोगों के बसाव की स्थिति क्या है।
स्पेशल इमिग्रेंट वीजा (SIV) यानी मानवीय वीजा। ये केवल उन अफगानों के लिए उपलब्ध है जिन्होंने इंटरप्रेटर और ट्रांसलेटर्स के साथ-साथ अन्य भूमिकाओं में अमेरिकी सेना की मदद की है और तालिबान से खौफ खाए हुए हैं। अफगानिस्तान और इराक में एसआईवी आवेदकों की वकालत करने वाले एक ग्रुप 'एसोसिएशन ऑफ वॉरटाइम एलीज' द्वारा बुधवार को जारी किए गए एक रिपोर्ट की माने तो, करीब 5 हजार एसआईवी आवेदकों को पहले ही अफगानिस्तान से निकाला जा चुका है। समूह का अनुमान है कि 65 हजार एसआईवी आवेदक और परिवर के सदस्य अफगानिस्तान में रहते हैं।
कौन हैं अमेरिका पहुंचने वाले अफगान नागरिक
पेंटागन के मुताबिक, काबुल से अमेरिकी सैन्य विमानों द्वारा बाहर निकाले गए लोगों में अमेरिकी नागरिक, वैध स्थायी निवासी, अफगान SIV आवेदकों और अन्य कमजोर अफगान शामिल हैं।