अफगानिस्तान में कब्जा करने के बाद से तालिबान की हिमाकत हर दिन बढ़ते जा रही है, दुनिया के सामने अपना झूठा चेहरा पेश करने वाला तालिबान तो अब अमेरिका को ही आंख दिखाने लगा है। हक्कानी नेटवर्क को लेकर तालिबान ने अमेरिका चेताया है और कहा है कि हक्कानी का परिवार भी इस्लामिक अमीरात का हिस्सा है, वह कोई अलग नहीं है। ऐसे में दोहा एग्रीमेंट के तहत इस्लामिक अमीरात के सभी सदस्यों को संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका की ब्लैकलिस्ट से तुरंत हटा देना चाहिए।
दरअसल, अफगानिस्तान की नई तालिबान सरकार को लेकर अमेरिका चिंतित है, अमेरिका ने कहा है कि इस सरकार में जिन लोगों को मंत्री बनाया गया है और प्रमुख पद सौंपे गए हैं। उसमें कई लोग वैश्विक आतंकी घोषित हैं, यही वजह है कि उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। अमेरिका के इसी बयान के बाद से तालिबान उसे आंख दिखाते हुए आगबबूला हो गया है। तालिबान का कहना है कि, अमेरिका द्वारा दिए गए इस तरह के बयानों को बर्दाश्त नहीं करेगा।
तालिबान ने एक बयान जारी कर कहा, पेंटागन के अधिकारियों ने टिप्पणी की है कि इस्लामिक अमीरात के कुछ कैबिनेट सदस्य या हक्कानी साहिब के परिवार के सदस्य अमेरिकी ब्लैकलिस्ट में हैं और अभी भी टार्गेट पर हैं। इस्लामिक अमीरात अमेरिका के इस बयान को दोहा समझौते का स्पष्ट उल्लंघन मानता है जो न तो अमेरिका और न ही अफगानिस्तान के हित में है। इसके आगे चरमपंथी संगठन का कहना है कि, हक्कानी साहब का परिवार इस्लामिक अमीरात का हिस्सा है और इसका कोई अलग नाम या संगठनात्मक ढांचा नहीं है।
इसे आगे तालिबान का कहना है कि, दोहा समझौते के तहत इस्लामिक अमीरात के सभी अधिकारी अमेरिका के साथ बातचीत का हिस्सा थे। ऐसे में उन्हें संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका की ब्लैकलिस्ट से तुरंत हटा देना चाहिए। बताते चलें कि, तालिबान की सरकार में कई ऐसे नाम शमिल हैं, जो संयुक्त राष्ट्र की ग्लोबल आतंकियों की लिस्ट में शामिल हैं। इसके साथ ही कईयों पर ईनाम तक घोषित है, वहीं, सिराजुद्दीन हक्कानी पर तो अमेरिका ने 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा है।