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Taliban के चंगुल से पंजशीर को छुड़ाने की जंग जारी, Afghanistan के चरिकर पर Amrullah Saleh के सैनिकों कब्जा

तालिबान से मोर्चा ले रही सालेह की सेना

अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा कर लिया है। काबुल पर तालिबान काबिज हैं, लेकिन इसका अभी यह मतलब नहीं है कि पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान शासन हो गया। चीन और पाकिस्तान ने भले ही अपने स्वार्थों के कारण तालिबान को सिर पर बैठा लिया है, लेकिन रूस बहुत स्मार्टली काम कर रहा है।

रूस को तालिबान की असलीयत मालूम है। रूस उन ताकतों को पर्दे के पीछे से मदद करने से नहीं चूकेगा जो तालिबान से मोर्चा ले सके। अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह का फिर से खड़ा होना तालिबान को चुनौती देना कोई आश्चर्य नहीं बल्कि रूस की ताकत ही मानी जा रही है। रूस के विदेश मंत्री सरगेई लारोव ने बहुत बड़ा और गंभीर बयान दिया है। लारोव ने कहा है कि तालिबान को मान्यता देने में रूस कोई जल्दबाजी नहीं दिखाएगा।

रूस उन सब वादों और दावों की सच्चाई और वास्तविकता को परखेगा जो तालिबान ने किए हैं। इसी बीच रूसी समाचार एजेंसी स्पूतनिक ने खबर दी है कि अमरुल्लाह सालेह की सेना ने परवान प्रॉविंस के चरिकर में तालिबान को हरा दिया है। सालेह के सेनिकों ने तालिबान को भगा कर चरिकर पर अफगान ध्वज लहरा दिया है। सालेह के सैनिक पंजशीर को तालिबान के चंगुल से छुड़ाने के लिए जूझ रहे हैं।

ऐसा दावा भी किया जा रहा है कि सालेह के सैनिकों ने उस महत्वपूर्ण सुरंग मार्ग पर कब्जा कर लिया है जो काबुल को मजार-ए-शरीफ से जोड़ती है। ध्यान रहे, अमरुल्लाह सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। उन्होंने कहा कि वो तालिबान के आगे कभी नहीं झुकेंगे। वो अफगानियों की ताकत को फिर से एकजुट करेंगे और तालिबान को मार भगाएंगे।

अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह (Vice President Amarulla Saleh) की सेना ने तालिबान से काबुल के उत्तर में परवन प्रॉविंस में चरिकर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। काबुल में अफगानी सोर्सेस के हवाले से रूसी मीडिया स्पूतनिक ने कहा है कि पंजशीर कण्ठ के बाहरी इलाके में तालिबान के साथ लड़ाई हो रही है।

उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह की सेना ने परवान प्रांत के चरिकर पर नियंत्रण हासिल कर लिया है। अब पंजशीर क्षेत्र में लड़ाई जारी है।” एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क से सुरंग के माध्यम से चरिकर से होकर गुजरती है, जो काबुल को उत्तरी अफगानिस्तान (Afghanistan) के सबसे बड़े शहर मजार-ए-शरीफ से जोड़ती है।