रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine) की जंग को हमला बोले हुए बस एक साल पूरा होने वाला है। इतने दिनों में रूस ने यूक्रेन के शहरों को खंडहर बना दिया है। रूस- यूक्रेन (Russia-Ukraine) की जंग में यूक्रेन को अपने कई शहरों को खोना पड़ा है। पिछले साल 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर भयानक हमला शुरू किया था। दुनिया में किसी को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि यूक्रेन ज्यादा दिन तक सुपर पावर रूस के सामने टिक पाएगा। हालांकि पिछले एक साल में हुआ इसका ठीक उल्टा और यूक्रेन ने पश्चिमी हथियारों की मदद से रूस को जोरदार टक्कर दी है। यूक्रेन के पलटवार में जहां रूस के हजारों की तादाद में सैनिक मारे गए हैं, वहीं उसके आधे से ज्यादा टैंक तबाह हो गए हैं।
इस जंग में रूस को अपने युद्धपोत से लेकर इज्जत तक को गंवानी पड़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि साल 1945 में दूसरे महायुद्ध के बाद यूरोप में पहली बार जोरदार जंग हुई है जिससे हथियारों की अब एक नई रेस शुरू हो गई है। यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया की सभी बड़ी शक्तियां अब अपनी सैन्य ताकत का फिर से आकलन कर रही हैं। भारत ने तो चीन के किसी भी हमले से निपटने के लिए महाप्लान पर काम करना शुरू कर दिया है। आइए समझते हैं। रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद अब दुनियाभर के देश अपने हथियारों के जखीरे की फिर से समीक्षा कर रहे हैं।
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद पड़ोसी देश पोलैंड दहशत में आ गया और उसने एक कानून पारित करके अपनी सेना के आकार को दोगुना करने का फैसला किया। यही नहीं पोलैंड ने अब अरबों डॉलर के हथियारों की खरीद शुरू कर दी है। पोलैंड ने दक्षिण कोरिया को टैंक से लेकर तोप का विशाल ऑर्डर दे डाला है। यूक्रेन युद्ध जब दूसरे साल में प्रवेश करने जा रहा है, पोलैंड की रक्षा तैयारी अपने पूरे उफान पर है।
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पोलैंड ने 700 से ज्यादा तोप खरीदे
पोलैंड दक्षिण कोरिया के अलावा अमेरिका से भी 500 हिमार्स (HIMARS) मल्टीपल रॉकेट सिस्टम खरीद रहा है जो यूक्रेन युद्ध में रूस के खिलाफ बहुत ही कारगर साबित हुआ है। अमेरिका ने मात्र 20 हिमार्स को यूक्रेन को दिया था और उससे रूसी सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। यही नहीं पोलैंड की योजना 700 से ज्यादा तोप खरीदने की है जो जर्मनी के कुल हथियारों के जखीरे का 6 गुना ज्यादा है। ब्रिटेन और फ्रांस के पास मिलाकर जितने आधुनिक टैंक हैं, उसका तीन गुना अब पोलैंड के पास होने जा रहे हैं। पोलैंड की हथियारों की भूख इतना ज्यादा है कि वह अभी रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
इन देशों में यूक्रेन के केवल पड़ोसी देश ही नहीं बल्कि चीन, भारत, ताइवान और अमेरिका शामिल हैं। ये सभी देश मीलों दूरी से यूक्रेन युद्ध पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं। अब हर देश को यह समझ में आ गया है कि व्यापक हमले से निपटने के लिए बड़ी तादाद में हथियारों की जरूरत होगी। चीन ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि वह ताइवान पर ताकत के बल पर कब्जा कर सकता है। इसी वजह से ताइवान बड़े पैमाने पर मिसाइलें बना रहा है। वहीं चीन अपने परमाणु बम और हाइपरसोनिक मिसाइलों का जखीरा बढ़ा रहा है। चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है और वह फाइटर जेट के मामले में भी अमेरिका को पीछे छोड़ने की तैयारी में है।
भारत बना रहा चीन का काल
यूक्रेन युद्ध से भारत का संकट बढ़ गया है और इसकी वजह यह है कि भारत रूस के हथियारों पर बहुत बुरी तरह से निर्भर है। यह युद्ध ऐसे समय पर शुरू हुआ है जब लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन के साथ तनाव चल रहा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने रूस और यूक्रेन युद्ध से सबक लेते हुए बड़ी तैयारी शुरू कर दी है। रूस इस युद्ध में फेल साबित हुआ है और इसको देखते हुए भारत अपनी सेना के मेकनाइज यूनिट में ड्रोन को भी शामिल करने जा रहा है। भारत छोटे-छोट निगरानी ड्रोन खरीद रहा है। भारत की यह स्वदेशी मिसाइल कम दूरी तक तबाही मचाने में सक्षम है। भारत की प्रलय मिसाइल रूस की इस्कंदर मिसाइल के टक्कर की है जो यूक्रेन में भारी तबाही मचा रही है। भारत ने चीन सीमा पर फाइटर जेट को मार गिराने के लिए कंधे पर रखकर इस्तेमाल की जाने वाली मिसाइल के लिए भी बड़ा ऑर्डर दिया है।