तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। लेकिन पंजशीर के इलाके में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। ये इलाका अभी तक तालिबान के कब्जे से बाहर है। ये के लोग तालिबानियों से लड़ने के लिए सीना ताने खड़े हैं। अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने तालिबान से लड़ने का ऐलान कर दिया है। मसूद के पिता ने पंजशीर में तालिबान के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान चलाया था। उनकी 2001 में हत्या कर दी गई थी। हालांकि मसूद ने इस जंग के लिए अमेरिका की मदद मांगी है।
अहमद मसूद ने एक अखबार में अपने लेख में लिखा, अमेरिका अभी भी लोकतंत्र का सबसे बड़ा शस्त्रागार हो सकता है।’ उन्होंने लिखा, मैं आज पंजशीर घाटी से लिख रहा हूं, उन मुजाहिदीन लड़ाकों के साथ अपने पिता के पदचिन्हों पर चलने के लिए तैयार हूं, जो एक बार फिर तालिबान का सामना करने के लिए तैयार हैं।’ 1990 का गृह युद्ध हो या इससे एक दशक पहले सोवियत का प्रभाव, अपनी प्राकृतिक सुरक्षा के लिए मशहूर पंजशीर आज भी अजेय है।
उन्होंने कहा कि तालिबान के नियंत्रण में अफगानिस्तान बगैर किसी शक के कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद का गढ़ बनता जाएगा। यहां लोकतांत्रिक देशों के खिलाफ साजिश रची जाएगी। उन्होंने कहा कि उनके लड़ाके आने वाले टकराव के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें अमेरिकी सहायता चाहिए। मुल्क पर कब्जा करने के बाद तालिबान के लड़ाकों की कई तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें उनके पास अफगान बलों से जब्त किए गए हथियार, उपकरण नजर आ रहे हैं।
पंजशीर से जो तस्वीरें सामने आई हैं उसमें उप राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और मसूद साथ दिख रहे हैं। दोनों मिलकर तालिबान से लड़ाई की योजना बना रहे हैं। हालांकि इसके लिए पंजशीर के लड़ाकों का हथियार की जरुरत पड़ेगी। तालिबान के लड़ाकों के पास एम4 और एम8 असॉल्ट राइफल्स, एम24 स्नाइपर हथियार हैं और वे अमेरिकी हमवी में सवार हैं।