Hindi News

indianarrative

America की नई चाल, चीन से लड़ने के लिए Taiwan को देगा खतरनाक हथियार

America sale Weapons To Taiwan

America sale Weapons To Taiwan: तनाव चीन और ताइवान के बीच है लेकिन, अगर जंग हुई तो चीन और अमेरिका के बीच होगी। क्योंकि, अमेरिका का कहना है कि वो ताइवान की हर हाल में रक्षा करेगा। उधर चीन का कहना है कि, ताइवान को वो अपने कब्जे में लेकर रहेगा। अगर इसमें कोई भी आया तो वो भी जंग की आग में जलेगा। इसी के चलते ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका आमने सामने हैं। अब अमेरिका ने एक बार फिर से चीन को चिढ़ाने का काम किया है। अमेरिका ने ताइवान को हथियार (America sale Weapons To Taiwan) बेचने की मंजूरी दी है, जिसके बाद ताइपे की ताकत और बढ़ जाएगी और ये चीन के लिए टेंशन की बात है। अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने ताइवान को 1.09 अरब डॉलर के हथियार बेचने (America sale Weapons To Taiwan) की अनुमति दी है। इस हथियारों की खेप में आधुनिक मिसाइलें, सीमाओं की सुरक्षा की तकनीक आदि शामिल होंगे।

यह भी पढ़ें- ताइवान ने चीनी ड्रोन पर की गोलीबारी,ड्रैगन के खिलाफ जंग का ऐलान?

चीन भी अपनी सेना की ताकत लगातार बढ़ाने में लगा है। हाल ही में उसने कई रॉकेट फोर्स तैयार की हैं और उनके लिए अत्याधुनिक हथियारों से लैस कर रहा है। इस खेप में 8.5 करोड़ की साइडविंडर मिसाइलें शामिल हैं। यह एयर टू एयर और जमीन से हमला करने वाली मिसाइल है। इसके अलावा खेप में हारपून एंटी शिप मिसाइलें 35.5 करोड़ा यूएस डॉलर की हैं। इसके अलावा ताइवान की निगरानी रडार कार्यक्रम जो कि 66.5 करोड़ डॉलर की है। यह रडार कार्यक्रम हवा में रक्षा की चेतावनियां देता है। हवा में दुश्मन की मिसाइलों की जल्द चेतावनी देना महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि चीन ने ताइवान के पास सैन्य अभ्यास तेज कर दिए हैं।

यह भी पढ़ें- Chinese Space-AI प्रोजेक्ट पर खतरा, Alibaba, Huawei को चिप सप्लाई बैन

ताइवान को जो हथियार मिलेंगे, उनमें सबसे बड़ा हिस्सा निगरानी रडार के लिए होगा। बताया गया है कि इसका पैकेज 65.5 करोड़ डॉलर का है। यह रडार हवाई हमलों के दौरान ताइवान की सतर्कता बढ़ाने में मदद करेगा। विदेश विभाग की ओर से कहा गया है कि, ये हथियार ताइवान के लिए काफी जरूरी है, ताकि वह अपनी रक्षा क्षमताओं को बनाए रख सके। प्रशासन ने शुक्रवार को इस बिक्री के बारे में अमेरिकी कांग्रेस को सूचित किया। बाइडन प्रशासन ने कहा कि यह सौदा अमेरिका की एक-चीन नीति के अनुरूप है। साथ ही उसने बीजिंग से ताइवान के खिलाफ अपना सैन्य, कूटनीतिक और आर्थिक दबाव खत्म करने तथा इसके बजाय ताइवान के साथ सार्थक संवाद करने का अनुरोध किया।