तालिबान और पाकिस्तान की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। जो लोग ये सोच रहे हैं कि अमेरिका ने तालिबान से अपनी सेनाएं हटाकर गलती की है, उन्हें अब थोड़ी राहत मिल सकती है। अफगान के समर्थकों के लिए राहत और पाकिस्तान और तालिबान के लिए आफत की बात यह है कि रूस ने अमेरिका को ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान में अपने आर्मी और एयरबेस इस्तेमाल की इजाजत दे दी है। हालांकि, यह एकदम असंभव सा दिखाई देता है लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि कुछ शर्तों के साथ पुतिन और बाइडेन ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान के आर्मी बेस तालिबान के खिलाफ इस्तेमाल के राजी हो गए हैं। अमेरिका इन बेस का इस्तेमाल कब से शुरू करेगा, इसका खुलासा नहीं हुआ है।
ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान के आर्मी और एयरबेस को तालिबान के खिलाफ इस्तेमाल किए जाने की खबर अफगानी न्यूज एजेंसी Khaama News ने दी है। ध्यान रहे, सबसे पहले यह खब रूसी अखबार कोमरसेंट ने प्रकाशित की थी। इसके बाद रायटर्स ने इस खबर को प्रकाशित किया है।
अफगानिस्तान से और अच्छी खबरें मिली हैं, पहली खबर है कि अफगानी सरकारी फोर्सेस ने 18 जिलों को तालिबान से वापस छीन लिया है। इसके स्पिन बोलदाक और चमन बॉर्डर और पाखुज जैसे प्रमुख शहरों को भी तालिबान के कब्जे से वापस छीन लिया है। पिछले 24 घण्टे से चल रही भीषण लड़ाई में 250 से ज्यादा तालिबान मारे गए हैं और 500 के करीब घायल हुए हैं। इन घायलों में से कुछ का इलाज पाकिस्तान के अस्पतालों में हो रहा है।
पाकिस्तानी फौज ने सिक्योरिटी कवर देकर इन घायलों को अफगान बॉर्डर से अपने अस्पतालों में पहुंचाया है। खास बात यह है कि 18 जिलों पर अफगान फोर्सेस के कब्जे की बात को तालिबान के प्रवक्ताजबीउल्लाह मुजाहिद ने कबूल किया है। अपनी झेंप मिटाने के लिए जबीउल्लाह ने कहा कि ये इलाके काफी गरीब थे इसलिए आजाद कर दिये। असलियत यह है कि तालिबान का अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्सों पर कब्जे का दावा झूठा है। पाकिस्तान का झूठ तंत्र अफगानी फोर्सेस का मनोबल गिराने के लिए फर्जी खबरें फैला रहा है।