तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा अमेरिका के लिए हार है। 20 साल में अमेरिकी फौज ने अफगानिस्तान से तालिबान का खदेड़ा था। तालिबान महीने भर के भीतर ही फिर से अफगानिस्तान को अपने कब्जे में लिया है। तालिबानी आतंकी सड़कों पर फिर से बंदूक लेकर घूम रहे हैं। अपने विरोधियों को चुन-चुन कर मार रहे हैं। देश का माहौल 20 साल पहले जैसा ही हो गया है। दुनिया इस अमेरिकी, नाटो सेना की हार के रुप में देख रही है। काबुल एयरपोर्ट को छोड़कर अमेरिकी हर जगह से भाग खड़े हुए हैं।
तालिबान फिर से सर उठा चुका है। ऐसे में अब अगर अमेरिका तालिबान को नियंत्रित करना चाहेगा तो ये उसके बस की बात नहीं लगती। अमेरिका को भारत की जरुरत पड़ेगी। अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद का मानना है कि तालिबान को नियंत्रित करने और आतंकवाद को रोकने के लिए भारत का साथ जरुरी हो गया है।
भारतीय अमेरिकी कांग्रेसी रो खन्ना ने एक ट्वीट में कहा कि तालिबान और आतंकवाद को रोकने के लिए अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी अब और भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि हम में से कोई भी इन तस्वीरों को देख सकता है और मानवीय स्तर पर उस दर्द को महसूस नहीं कर सकता है।
आपको बता दें कि खन्ना प्रतिनिधि सभा में सिलिकॉन वैली का प्रतिनिधित्व करते हैं। सदन में भारतीय अमेरिकी कांग्रेस के कॉकस के डेमोक्रेटिक उपाध्यक्ष हैं। अमेरिका काबुल हवाई अड्डे से अमेरिकियों और अन्य लोगों को तालिबान से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चला रहा है। हवाई अड्डे के बाहर अराजक और हिंसक माहौल है और लोग अंदर सुरक्षित पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस स्थिति को लेकर बाइडन को तीखी आलोचना झेलनी पड़ रही है। बाइडन ने पिछले सप्ताह को "दिल दहला देने वाला" बताया, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका प्रशासन लोगों की निकासी को सुचारू और गति देने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।