Hindi News

indianarrative

पंजशीर में दहाड़े अमरुल्ला सालेह, काबुल की सड़कों पर तालिबानी बंदूकों के आगे पर सीना तान कर निकले अफगानी

कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह की इमरान खान और तालिबान को चेतावनी

तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी मुल्क छोड़कर भाग गए। इसके बाद 17 अगस्त को अमरुल्लाह सालेह ने खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। उन्होंने तालिबान और उसकी मदद करने वाले पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा है पाकिस्तान के लिए अफगानिस्तान इतना बड़ा है कि वे इसे निगलने की हिमाकत नहीं कर सकते हैं। इसके साथ उन्होंने तालिबार पर निशाना साधते हुए कहा कि अफगानिस्तान तालिबान के शासन के लिए भी बहुत बड़ा है।

तालिबान से जंग के बजाय जहां एक तरफ वर्तमान राष्ट्रपति अशरफ गनी मुल्क छोड़कर भाग गए तो वहीं अमरुल्ला सालेह ने वतन छोड़ने के बजाय पंजशीर घाटनी में अपना ठिकाना बना लिया है। सालेह ने कई ट्वीट्स किए और उन लोगों के लिए सम्मान व्यक्त किया, जिन्होंने अफगानिस्तान का झंडा बुलंद किया और देश की गरिमा के लिए खड़े रहे।

सालेह ने ट्वीट कर कहा कि, दुनिया के दोशों को कानून के शासन का सम्मान करना चाहिए, हिंसा का नहीं। अफगानिस्तान इतना बड़ा है कि पाकिस्तान उसे निगल नहीं सकता है और तालिबान उस पर शासन नहीं कर सकता है। अपने इतिहास में इसे ऐसा पाठ न बनने दें, जिसमें आतंकी गुटों के सामने झुकने या अपमान का जिक्र किया गया है। इसके बाद तालिबान अमरुल्ला सालेग का विरोध करने के लिए समर्थन जुटाने में लग गया है।

 

अमरुल्ला सालेह ने राष्ट्रपति अशरफ गनी के मुल्क छोड़कर भाग जाने के बाद 17 अगस्त को खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर लिया। उन्होंने ट्वीट कर ऐलान किया है कि वे अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति हैं। ऐसा उन्होंने संविधान के दायरे में रहते हुए किया है, जिसमें कहा गया है कि वर्तमान राष्ट्रपति की गैरमौजूदगी में उपराष्ट्रपति देश की सत्ता को संभाल सकता है।

बताते चलें कि, पंजशीर घाटी अफगानिस्तान का आखिरी इलाका है, यहां पर अभी तक तालिबान का कब्जा नहीं है। ये घाटी हिंदूकुश में काबुल के उत्तर में स्थित है। यह 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ और फिर 1990 के वक्त तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध का गढ़ था। इस इलाके को न तो विदेशी ताकतें और न ही तालिबान जीतने में सफल हुए और यहीं पर सालेह का जन्म भी हुआ है। वहीं, ताजिकिस्तान में अफगान राजदूत जाही अघबर ने कहा है कि यह प्रांत तालिबान के खिलाफ अमरुल्लाह सालेह द्वारा प्रतिरोध के लिए एक गढ़ के रूप में काम करेगा।