प्रशांत महासागर से लेकर हिंद महासागर तक चीन की बढ़ती दादागिरी का खात्मा करने के लिए ऑस्ट्रेलिया (Australia) अमेरिका से 5 परमाणु पनडुब्बियां खरीदने जा रहा है। ये परमाणु पनडुब्बियां वर्जिनिया क्लास की हैं। परमाणु ऊर्जा से चलने वाली ये किलर पनडुब्बियां साल 2030 तक ऑस्ट्रेलिया की नौसेना में शामिल हो जाएंगी। ये परमाणु पनडुब्बियां पिछले दिनों हुए ऑकस डील के तहत खरीदी जा रही हैं। इस पनडुब्बी में अमेरिका के साथ साथ ब्रिटेन की तकनीक भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की जाएगी।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार ऑकस डील के तहत कम से कम एक अमेरिकी सबमरीन आने वाले वक्त में ऑस्ट्रेलिया के बंदरगाह पर जाएगी। साल 2030 तक नई श्रेणी की सबमरीन ब्रिटेन के डिजाइन और अमेरिका की तकनीक के आधार पर बनाई जाएगी। भारत की यात्रा पर आए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज सोमवार को जो बाइडन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से मुलाकात करेंगे।
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ब्रिटेन के डिजाइन पर आधारित होंगी पनडुब्बियां
ऑकस डील का उद्देश्य चीन की बढ़ती ताकत पर लगाम लगाना था। इस डील के बाद चीन और ऑकस देशों के बीच तनाव काफी गहरा गया था। चीन इस पूरे सैन्य डील को खुद को घेरने की साजिश के रूप में देख रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अमेरिका साल 2027 तक अपनी कुछ सबमरीन को पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में तैनात करेगा। इसके बाद साल 2030 की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया 3 वर्जीनिया क्लास की सबमरीन को खरीदेगा और उसके पास दो और पनडुब्बियों को खरीदने का विकल्प होगा।
फिलहाल ऑस्ट्रेलिया के पास अभी 6 परंपरागत कोलिन्स क्लास की सबमरीन है जो अभी साल 2036 तक सेवा में रहेगी। ऑस्ट्रेलिया चीन की बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए परमाणु पनडुब्बियों पर दांव लगा रहा है जो बहुत लंबे समय तक समुद्र के अंदर छिपी रहती हैं और जरूरत पड़ने पर अपनी किलर मिसाइलों से जोरदार हमला कर सकती हैं। इन पनडुब्बियों को पकड़ पाना आसान नहीं होता है। ये पनडुब्बियां कहां बनेंगी अभी इसका खुलासा नहीं हुआ है।