ग्वादर में चाईनीज कंपनी में आग लगाने और 6 चीनी मजदूरों को अगवा किए जाने के मामले को बीजिंग ने बहुत गंभीरता से लिया है। ऐसा कहा जा रहा है कि पाक पीएम इमरान खान को बीजिंग से फटकार मिली है। इस फटकार के पाकिस्तान और इमरान खान के लिए क्या मायने हैं इसे सिर्फ इसी बात से अहसास हो जाता है कि इमरान खान बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के ग्वादर पहुंच गए। चीनी टेलीकॉम कंपनी में आग लगाए जाने और चीनी श्रमिकों को अगवा किए जाने की वारदात को पाकिस्तान की इमरान सरकार दुनिया से छुपाने की हरचंद कोशिश कर रही है। अगर इमरान खान ने ग्वादर पहुंचकर बयान जारी न किया होता तो शायद किसी को पता भी नहीं चलता कि इमरान ग्वादर गए भी थे।
इमरान खान का ग्वादर जाना कितना कामयाब रहा इस पर भी संशय के बादल मंडरा रहे हैं। क्यों कि अगवा किए गए चीनी श्रमिकों के बारे में अभी तक कोई सुराग नहीं। चीनी श्रमिकों की रिहाई के बारे में संशय इसलिए भी लग रहा है क्यों कि इमरान खान ने ग्वादर पहुंच कर बयान दिया कि वो असंतुष्ट बलोचों से बात-चीत शुरु करने की सोच रहे हैं। वैसे इमरान खान का ग्वादर पहुंच जाने से मामला और भी बिगड़ता नजर आ रहा है। 6 चीनी श्रमिकों की रिहाई के लिए खुद एक देश के प्रधानमंत्री को मौका-ए-वारदात पर पहुंचना पड़ रहा है। इससे साफ हो जाता है कि चीन का इमरान खान पर कितना भारी दवाब है। प्रधानमंत्री इमरान को मौका-ए-वारदात पर आना बलूच लिब्रेशन आर्मी के मकसद को काफी हद तक कामयाबी मिली है। बलूच लिब्रेशन आर्मी ने कहा है कि अगर उनकी मांगे मान ली जाती हैं तो वो चाईनीज श्रमिकों यूनाईटेड नेशंस या रेडक्रॉस को सौंप सकते हैं।
चीन और पाकिस्तान की कोशिश है कि ये मामला किसी भी तरह पाकिस्तान में ही सुलझा लिया जाए। अगर चीनी श्रमिकों की रिहाई का मामला रेडक्रॉस या यूनाईटेड की मध्यस्थता में पहुंचता है मामले का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो जाएगा, इससे चीन और पाकिस्तान दोनों एक्सपोज हो जाएंगे।
चीनी श्रमिकों को अगवा करने से बलूच लिब्रेशन आर्मी अपने मकसद में आगे बढ़ रही है। इसी बीच पाकिस्तान की मीडिया में इमरान खाने ग्वादर जाने और बलूच लड़ाकों से बातचीत करने के बयान पर बहस छिड़ गया है। पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि बलूच पाकिस्तान सरकार पर कतई भरोसा नहीं करते। क्यों कि उनके साथ पाकिस्तानी सरकारों ने लगातार धोखा है। बातचीत का झांसा देकर कई बार उन्हें बुलाया गया और फिर बातचीत की जगह सरे आम उन्हें फांसी पर लटका दिया गया। पाकिस्तान का मीडिया का मानना है कि जिन माओं के सामने उनके बेटों को गोली मार कर हत्या कर दी जाती है क्या वो इमरान खान के झांसे में आंएंगे? पाकिस्तान के मीडिया के एक वर्ग का कहना है कि बलूचिस्तान को अब ज्यादा दिन गुलाम बनाकर नहीं रखा जा सकता। उन्हें आजादी देनी ही पड़ेगी।
इसके अलावा, पाकिस्तानी मीडिया ने इमरान खान को चेतावनी दी है कि बलूचिस्तान को छोड़कर कराची, लाहौर के हालात नहीं संभाले तो ये भी अलग हो जाएंगे। इसके लिए कराची में हुई एक घटना का उदाहरण दिया गया है। ये घटना 4 जून की रात की है। कराची के क्लिफटान एरिया में पुलिस और आर्मी के स्पेशल कमाण्डो के बीच संघर्ष का जिक्र किया गया है। इस घटना में कमाण्डोज ने थाने में घुसकर पुलिस अफसरों को न केवल खूब मारा-पीटा और बेइज्जत किया गया। इसके अलावा लगभग साल पहले हुई घटना का जिक्र किया गया जिसमें एक आईजी और 7 डीआईजी समेत सैकड़ों अफसरों और पुलिसकर्मियों ने इस्तीफा दे दिया था। पाक मीडिया ने इमरान खान से कहा कि बलूचिस्तान को छोड़ो कराची और लाहौर को संभालो वरना यहां भी हालात वैसे ही होने वाले हैं।