बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा से करीब 100 किमी दूर बोलन के इलाकों में पाकिस्तानी आर्मी ने बलोच संगठनों के खिलाफ सैन्य अभियान चला रखा है। पिछले दो हफ्तों से इस इलाके में बलूचिस्तानी संगठन बलोचिस्तान लिब्रेशन आर्मी ( बीएलए) ने पाकिस्तानी आर्मी के नाक में दम कर रखा है। पिछले एक सप्ताह में इस संगठन ने आर्मी के कापिले और चौकिओं पर कई हमले किए हैं। सोमवार को बीएलए के छापामारों ने एक पाकिस्तानी चौकी पर कब्जा कर लिया और बारुदी सुरंग लगा कर 11 पाकिस्तानी सैनिकों को मार दिया। यह पूरा इलाका चीन पाकिस्तान आर्तिक कॉरिडोर के तहत आता है जिसकी सुरक्षा का जिम्मा पाकिस्तानी आर्मी करती है। बीएलए के हमलों के बाद पाकिस्तानी आर्मी ने जवाबा कार्रवाई सुरु कर दी। बीएलए के एक बयान में कहा गया है कि उसने पिछले तीन दिनों में आर्मी के काफिले पर कई बार हमला किया है। बयान में यह भी कहा गया है कि बखौलाई आर्मी कई रिहायशी जगहों पर हवाई हमले कर रही है जिसमें कई लोगों के मारे जाने की खबर है। जानकारों के मुताबिक बीएलए जैसे कई संगठन, सालों से बलोचिस्तान को पाकिस्तान से अलग करने की मांग कर रहे हैं और पूरा का पूरा बलोचिस्तान लड़ाई की छावनी में तब्दील हो चुका है।
<h4>बलोच टाइगर्स के निशाने पर चीनी और पाकिस्तानी फौज</h4>
पाकिस्तानी आर्मी ने बलोचिस्तान के समर्थन में उठने वाली हर आवाज को खामोश करने पर तुली है। हजारों लोग या तो मारे जा चुके हैं या फिर गायब हैं। बीएलओ के प्रवक्त जीयंद बलोच के मुताबिक 'हमारे टार्गेट पाकिस्तानी फौज और चीन के लोग हैं। हम बलोचिस्तान के लोगों को आगाह करते हैं कि वो इनके आस पास नहीं जाएं।'
<h4>आईएसआई ने कराई करीमा बलोच की हत्या</h4>
पिछले दिनों, बलोचिस्तान की नेता करीमा बलोच की लाश कनाडा के टोरंटो शहर में एक झील के किनारे मिली थी। उसके पति के मुताबिक करीमा को कई महीनों से जान से मार दिए जाने की धमकी मिल रही थी और बलोच नेताओं को पूरा विश्वास है कि पाकिस्तानी की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है। जानकारों के मुताबिक, पाकिस्तानी आर्मी बलोचिस्तान के क्वेटा और दूसरे शहरों में छापे मार कर उन लोगों को पकड़ रही है जिन्होंने करीमा बलोच के समर्थन और पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था। बलोच पत्रकारों के मुताबिक उनके पास पूरी लिस्ट है और इनमें सारे बड़े नेता हैं जो बलोचिस्तान की लड़ाई से जुड़े हैं। बलोचिस्तान के लोगों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे संगठनों ने करीमा बलोच की हत्या का बदला लेने के लिए कसम खाई है और तब से आर्मी के साथ मुठभेड़ की खबरें रोज आ रही हैं।
<h4>ग्वादर की सीलबंदी से भड़के बलोच</h4>
इस बीच पाकिस्तानी आर्मी ने सीपेक के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के तहत ग्वादर पोर्ट और शहर के चारों तर उंचे तार की बाड़ खड़ी कर दी है जहां बलोचिस्तान के लोगों के आने जाने पर पूरी तरह से पाबंदी है। जानकारों का कहना है कि चीन ने ग्वादर में एक और शहर बसा लिया है। बलोचिस्तान के इस शहर के पास रह रहे मछुआरों को अरब सागर में मछलियां पकड़ने पर रोक लगा दी गई है जिससे लाखों मछुआरे बेरोजगार हो चुके हैं। बलोच लोगों के मुताबिक , पाकिस्तान का कहना है कि ग्वादर को सील करने का उद्देश्य बलूच को विकास देना, उनकी रक्षा करना, किसकी रक्षा करना है? पंजाबी और चीनियों की या बलोच लोगों की ? पाकिस्तान विकास का नाटक कर रहा है। मछुआरों को ग्वादर में बंदरगाह पर जाने की अनुमति नहीं है, विकास क्या है? सुरक्षा कहाँ है? यह किसकी सुरक्षा है? ग्वादर के मूल निवासियों के लिए समुद्र तक पहुंचने की अनुमति न देना उनके व्यवसाय पर पाबंदी लगाना है। क्या हम आतंकवादी हैं अगर हम अभी भी अपने अधिकारों के लिए बोलते हैं?
<h4>बलोचों को अल्पसंख्यक बनाने की साजिश</h4>
यहां के स्थानीय निवासियों का कहना है कि बलोच लोगों कों अपने ही मुल्क बलोचिस्तान में अल्पसंख्यक बनाने की साजिश रची जा रही है। जिस तरह शिनजियांग में चीन उईगर समुदाय को खत्म कर रहा है, उसी तरह पाकिस्तान भी बलोचिस्तान से बलोचों को खत्म करने पर आमादा है। बलोच संगठनों से जुड़े लोगों का कहना है सीपेक के नाम पर जो अत्याचार हुए हैं उसका पूरा अंदाजा दुनिया को नहीं है। बलोचिस्तान की प्रकृतिक संपदा के साथ लोगों को लूटा जा रहा है, औरतों के साथ रेप हो रहे हैं लेकिन कोई बोलने वाला नहीं है। आर्मी (किल एंड डंप) अभियान चला रही है। बीएलए के प्रवक्ता जेडी बलोच ने पाकिस्तानी आर्मी को चेतावनी दी है, अगर हमारे निहत्थे नागरिक और महिलाएं और बच्चे बलोचिस्तान या विदेशों में पाकिस्तानी आर्मी के जुल्म से सुरक्षित नहीं हैं, तो पाकिस्तान के नागरिक और महिलाएं सुरक्षित नहीं रहेंगे। हम उसी तरह के युद्ध को लॉन्च करने में सक्षम हैं जो पाकिस्तान बलोच पर थोप रहा है।
<h4>चीन के पास ग्वादर के अधिकार</h4>
गौरतलब है कि पाकिस्तानी पत्रकारों को भी ग्वादर पोर्ट और उसके आस पास के इलाके और सीपेक के बारे में लिखने के लिए पाकिस्तानी आर्मी से इजाजत लेनी पड़ती है। एक पत्रकार के मुताबिक, ग्वादर के बारे में ऑन लाईन भी कोई जानकारी नहीं है। इसमें तीन या चार एंट्री प्वाईंट होंगे और वहां रहने वालों और काम करनें वालों को स्पेशल पहचान पत्र दिए गए हैं। पूरा इलाका फौज के पास है। करीब 100-200 चाईनीज परिवार रह रहे हैं। दस हजार से ज्यादा रिहाईशी मकान बनाए हैं चाईना ने वहां।
<h4>उइगरों की तरह बलोचों का ब्रेन वॉश</h4>
ग्वादर, बलोचिस्तान का एक महत्वपूर्ण बंदरगाह वाला शहर है। सामरिक रुप से इसका विशेष महत्व है। लेकिन अब वहां बलोच लोगों के लिए कोई जगह नहीं है। चीन पाकिस्तान आर्थिक क़ॉरिडोर (सीपेक) का यह अंतिम पड़ाव है। सीपेक के चेयरमैन (रिटा) ले जनरल असीम बाजवा हैं। इसके पहले वो पाकिस्तानी आर्मी के साउदर्न कमांड के कोर कमांडर रह चुके हैं और बलोचिस्तान में सीपेक का काम उनकी देख रेख में शुरु हुआ था। प्रोजेक्ट शुरू होते ही बाजवा ने सबसे पहले उन संगठनों पर हमला बोला जो सीपेक का विरोध कर रहे थे। उस दौरान उन्होंने चीन के कहने पर बलोचिस्तान में कई कैंप की शुरुआत की थी जहां विद्रोही बलोचों का (ब्रेन वॉश) किया जाता था। यह बिल्कुल वैसा ही था जैसे चीन ने उइगर समुदाय (Uyghur Muslims) के लिए ‘रि-एजुकेशन’ कैंप चला रखा है। आजकल बाजवा भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हैं लेकिन पाकिस्तान की सरकार उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकती। एक नए कानून के तहत सीपेक पर सिर्फ पाकिस्तानी आर्मी का नियंत्रण है, पाकिस्तानी सरकार का नहीं और किसी भी अदालत में सीपेक से जुड़े मामलों की सुनवाई नहीं हो सकती।)
<h4>बलोचिस्तान को तोड़ने की साजिश कर रहा पाक</h4>
बलोच लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे मुनीर मेंगल का कहना है कि पूरे बलोचिस्तान को तीन भागों में बांटा गया है उत्तर, दक्षिण ओर पश्चिमी बलोचिस्तान। दक्षिणी बलोचिस्तान पर पूरी तरह आर्मी का कंट्रोल है। ग्वादर दक्षिणी बलोचिस्तान में आता है। हम बलोचिस्तान को बंटने नहीं देंगे। जब यह सवाल पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से पूछा गया था तब इमरान ख़ान का जवाब था, असीम सलीम बाजवा बलूचिस्तान में सदर्न कमांड के मुखिया थे। ग्वादर सीपैक का एक मुख्य केंद्र है। वह पहले से ही वहाँ काम कर रहे थे, चीनी लोगों के साथ काम करते रहे हैं। जाहिर है बाजवा के खिलाफ कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं है इमरान खान की जिनकी कुर्सी, आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा की मेहरबानी से टिकी है।
<h4>शहादत का अंदाज बताता है बलोचिस्तान जल्द आजाद होगा</h4>
इस बीच दुनिया भर में बलोच नेता करीमा बलोच की हत्या के विरोध में पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन जारी हैं। बलोच नेताओं ने एक बार फिर यूएन से अपील की है कि बलोचिस्तान में पाकिस्तान द्वारा नरसंहार की जांच करे। इन नेताओं का कहना है कि उनके पुरखो ने बलोचिस्तान को पाकिस्तान से अलग करने की मुहिम में अपनी जान दे दी अब मौजूदा पीढ़ी को यह लड़ाई पूरे जोश के साथ लड़नी होगी, इंशा अल्लाह, हम भी बांगलादेश की तरह हम भी जल्दी आजाद होंगे।.