पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश अपनी आजादी के 50 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। यह जश्न पाकिस्तान की क्रूर आर्मी मुक्ति वाहनी पर जीत का जश्न है। बांग्लादेश ने पाकिस्तान पर जीत के जश्न की 50वीं सालगिरह को और बंग बंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शताब्दी को समर्पित किय है। क्रूर पाकिस्तानियों लम्बा दमन चक्र चलाकर 30 लाख बांग्लादेशियो को नरसंहार किया था। इसी के खिलाफ मुक्ति वाहिनी ने पाकिस्तान के खिलाफ गुरिल्ला वाॉर शुरु किया और आखिर में पाकिस्तान से आजादी हासिल की। बांग्लादेश के आजादी को 50 साल पूरे हो चुके हैं। इसी साल बंगबंधु की 100वी जयंती है। बांग्लादेश ने दोनों पर्वों को एक साथ जोड़ दिया है। बांग्लादेश ने पाकिस्तान पर दबाव डाला है कि वो बांग्लादेशियों के नरसंहार के लिए माफी मांगे। लगभग एक पखबाड़े तक चलने वाले इस समारोह के आखिरी दिन भारत के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी मुख्य अतिथि हैं। बस, यही देख कर इमरान खान के दिल पर सांप लोट रहा है।
बांग्लादेश सरकार के प्रधान सूचना अधिकारी सुरथ कुमार सरकार ने बताया कि मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मुहम्मद सोलिह 17 मार्च को तीन दिवसीय दौरे पर आने वाले पहले शीर्ष विदेशी गणमान्य अतिथि होंगे। इसके बाद श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे 19 मार्च को दो दिवसीय दौरे पर ढाका आएंगे। नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी 22 मार्च से दो दिवसीय दौरे पर ढाका में रहेंगी, जबकि भूटान के प्रधानमंत्री लोताय त्शेरिंग 24 मार्च से 25 मार्च तक देश में रहेंगे।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में 26 मार्च को शामिल होंगे। बांग्लादेश के शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय यात्रा पर 26 मार्च को आएंगे और मुख्य स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होंगे। यह मौका बांग्लादेश-भारत के राजनयिक संबंधों के 50 साल पूरे होने का भी होगा।
बांग्लादेश के आजादी के 50 बर्ष होने पर ढाका में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। साथ ही इस लड़ाई में पाकिस्तानी आर्मी के खिलाफ खड़े होने वाले लोगों को भी याद किया जा रहा है। पाकिस्तान की सेना ने लाखों बांग्लादेश के लोगों का नरसंहार किया था। बांग्लादेश में जनरल याहया खान और उसकी हत्यारी पाकिस्तानी सेना की क्रूरता का आलम यह था कि करीब 30 लाख लोग इस जुल्म के शिकार हो गए। बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के खत्म हुए 50 साल बीत चुके हैं लेकिन अभी तक पाकिस्तान की सरकार या पर्दे के पीछे से शासन करने वाली सेना ने इस नरसंहार के लिए माफी नहीं मांगी है।
पाकिस्तान की सेना ने 30 लाख बांग्लादेशियों का किया था 'नरसंहार'
पाकिस्तान के खिलाफ 9 महीने चले मुक्ति संग्राम में 30 लाख निर्दोष लोग मारे गए और याहया खान की सेना ने 20000 से ज्यादा महिलाओं का शोषण किया। पाकिस्तानी सेना ने 25 मार्च को जघन्य ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू किया जो 1971 के नरसंहार की शुरुआत थी। बुद्धिजीवियों की नृशंस तरीके से हत्या की गई। दरअसल, पाकिस्तानी सेना ने बंगबंधु के नेतृत्व में हुए विद्रोह को कुचलने के लिए बांग्लादेश के बुद्धिजीवियों की हत्या शुरू की। इसके तहत लेखकों, शिक्षकों, डॉक्टरों, वैज्ञानिकों को रात में ही उनके घर से उठा लिया गया और बेहद क्रूर तरीके से उनकी हत्या कर दी गई। दो लाख माताओं और बहनों ने अपने बेटों और भाइयों को खो दिया।
बीते कुछ सालों में शेख हसीना सरकार ने कई मौकों पर दुनिया के सामने पाकिस्तान की सेना का असली चेहरा सामने लाने की कोशिश की है। साथ ही पाकिस्तान से बांग्लादेश मुक्ति संग्राम 1971 में हुए नरसंहार के लिएआधिकारिक माफी मांगने की मांग की है। शेख हसीना ने पिछले साल दिसंबर में पाकिस्तान उच्चआयुक्त से कहा था कि मुक्ति संग्राम में 30 लाख निर्दोष लोग मारे गए और याहया खान की सेना ने 20000 से ज्यादा महिलाओं का शोषण किया। जिसका दर्द हमेशा हर बांग्लादेशी के दिल में रहेगा। (बंगबंधु का इलस्ट्रेशन thedailystar.net से साभार)