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'जख्म गहरे हैं, '71 की ज्यादतियों के लिए पाकिस्तान को माफी हरगिज नहीं' बोलीं शेख हसीना

'जख्म गहरे हैं, '71 की ज्यादतियों के लिए पाकिस्तान को माफी हरगिज नहीं' बोलीं शेख हसीना

बांग्लादेशियों पर पाकिस्तानी आर्मी के जुल्म-ओ-सितम की याद आज भी गहरे जख्मों की तरह दर्द देती है। लगभग पचास साल पहले की यातनाओं के खिलाफ बांग्लादेशियों का गुस्सा बरकरार है। बांग्लादेश (Bangladesh) की प्रधानमंत्री <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/chinese-defense-minister-wei-fenghe-landed-in-rawalpindi-instead-of-dhaka-19813.ht"><strong><span style="color: #000080;">शेख हसीना</span></strong></a> ने उसी गुस्से को जाहिर करने के लिए पाकिस्तान के हाई कमिशनर को अपने ऑफिस बुलाया और अधिकारिक तौर पर बांग्लादेश (Bangladesh) का रोष सामने रखा। शेख हसीना ने पाकिस्तान के हाई कमिश्नर इमरान अहमद सिद्दीकी से कहा कि बांग्लादेश (Bangladesh) को पाकिस्तानी आर्मी ने जो जख्म दिए हैं वो आज तक हरे हैं। पाकिस्तान को उसके इस जुल्म के लिए न तो माफ किया जा सकता है और न उसके जुल्मों को भुलाया ही जा सकता है।

शेख हसीना ने पाकिस्तान को आगाह किया कि 1971 की घटनाएं बांग्लादेशियों के स्मृति पटल पर अमिट हैं। उन दिनों का दर्द हर बांग्लादेशी अभी तक महसूस करता है। ध्यान रहे, 1971 तक बांग्लादेश को पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था। यहां पाकिस्तान के जनरल याहिया खां का शासन था। याहिया खां और उसकी पलटन बांग्लादेशी नागरिकों के साथ गुलामों से भी बदतर व्यवहार करती थी। बांग्लादेशी औरतों और बच्चियों के साथ व्याभिचार-बलात्कार आम बात थी। बांग्लादेशी नागरिकों की हत्या करने वाले पाकिस्तानी फौजियों पर सामान्यतः कोई कार्रवाई नहीं होती थी।

पाकिस्तानी फौजियों के इस अत्याचार मुक्ति दिलाने के लिए शेख मुजीबुर्रहमान (जिन्हें बांग्लादेश के जनक कहा गया) ने बीड़ा उठाया और मुक्ति वाहिनी के सहयोग से बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) को पाकिस्तानियों के चंगुल से आजाद करवा लिया। भारत ने <a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Sheikh_Mujibur_Rahman#Anti-Ayub_movement"><strong><span style="color: #000080;">शेख मुजीबुर्रहमान</span> </strong></a>को बंग बंधु की उपाधि दी थी। वो 25 जनवरी 1971 को  दोबारा आजाद बांग्लादेश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन कुछ भितरघातियों की वजह से 15 अगस्त 1975 को उनकी हत्या कर दी गई। ऐसा बताया जाता है कि शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या में पाकिस्तान सरकार का सीधा हाथ था। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई अब भी बांग्लादैश के खिलाफ गतिविधियों में शामिल रहती है।.