टीवी न्यूज चैनल को लेकर चीन और ब्रिटेन में ठन गई है। ब्रिटेन के मीडिया रेग्युलेटर की ओर से यूनाइटेड किंगडम में प्रसारण के लिए चाइनीज स्टेट टेलीविजन के लाइसेंस को निरस्त करने के एक हफ्ते बाद शुक्रवार को ब्रिटिश टेलीविजन चैनल बीबीसी वर्ल्ड न्यूज (BBC World News) को चीन में प्रसारित होने से रोक दिया गया।
China’s decision to ban BBC World News in mainland China is an unacceptable curtailing of media freedom. China has some of the most severe restrictions on media & internet freedoms across the globe, & this latest step will only damage China’s reputation in the eyes of the world.
— Dominic Raab (@DominicRaab) February 11, 2021
चीन के नेशनल रेडियो एंड टेलीविजन एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है कि एक जांच में पाया गया कि बीबीसी वर्ल्ड न्यूज की चीन से संबंधित रिपोर्ट्स ने गंभीर रूप से नियमों का उल्लंघन किया, खबरें ''सच्ची और निष्पक्ष'' होनी चाहिए। इसके साथ ही उसने आरोप लगाया कि बीबीसी के कवरेज ने देश के हितों को नुकसान पहुंचाया और राष्ट्रीय एकता को कमजोर किया।
एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है कि चीन में प्रसारण के लिए विदेशी चैनलों से जो अपेक्षाएं की जाती हैं। यह चैनल उनको पूरा नहीं करता है, इसलिए एक और साल प्रसारण के लिए इसके आवेदन को स्वीकार नहीं किया जाएगा। चीन के इस कदम की ब्रिटिश विदेश मंत्री डॉमिनिक राब और अमेरिकी विदेश विभाग ने निंदा की है, जबकि बीबीसी ने कहा कि यह “निराश करने वाला” है।
राब ने ट्वीट कर कहा है, ''मेनलैंड चीन में बीबीसी वर्ल्ड न्यूज पर प्रतिबंध लगाने का चीन का फैसला मीडिया फ्रीडम में अस्वीकार्य कटौती है. चीन ने मीडिया और इंटरनेट की स्वतंत्रता पर कुछ दुनियाभर में सबसे गंभीर प्रतिबंध लगाए हैं, और यह ताजा कदम केवल दुनिया की नजर में चीन की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाएगा.''
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने इस मामले पर कहा, ''यह परेशान करने वाला है कि (चीन) आउटलेट्स और प्लेटफॉर्म्स को चीन में स्वतंत्र रूप से काम करने से रोकता है, जबकि बीजिंग के नेता गलत सूचना को बढ़ावा देने के लिए विदेशों में मुफ्त और खुले मीडिया वातावरण का इस्तेमाल करते हैं.''
इससे पहले 4 फरवरी को, ब्रिटिश मीडिया रेग्युलेटर Ofcom ने चाइना ग्लोबल टेलीविजन नेटवर्क (CGTN) के लाइसेंस को यूनाइटेड किंगडम में प्रसारण के लिए रद्द कर दिया था, क्योंकि कथित तौर पर एक जांच में पाया गया था कि लाइसेंस धारक चैनल के पास संपादकीय नियंत्रण का अभाव था और उसके संबंध चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से थे।