कोरोना वायरस को लेकर चीन शुरु से ही सवालों के घेरे में है क्योंकि पहला मामला चीन के वुहान शहर से आया था, इसकी उत्पत्ति को लेकर जब भी चीन पर सवाल उठता है, ड्रैगल आग बबूला हो उठता है। कई रिपोर्टों में अबतक दावा किया जा चुका है कि कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से ही हुआ है और ये वुहान लैब से ही फैला है। इसकी जांच को लेकर चीन आनाकानी कर रहा है लेकिन अब उसपर कई देश मिलकर नकेल कसने वाले हैं। दरअसल, 11-13 जून के बीच ब्रिटेन के कार्निवाल में G-7 समिट आयोजित होने वाली। और इसमें शामिल होने वाले नेता WHO के सामने नए सिरे से कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर पारदर्शी तरीके से जांच करने की मांग उठाएंगे।
दरअसल, खबर है कि जी-7 समिट शुरू होने से पहले मीटिंग के लिए बनाई गई एक सरकारी ड्राफ्ट लीक हुई है। लीक ड्राफ्ट की मानें तो इस मीटिंग में चीन की मुसीबतें बढ़ने वाली है। लीक ड्राफ्ट के मुताबिक जी-7 समिट के दौरान इसमें शामिल होने वाले नेता विश्व स्वास्थ्य संस्थान (WHO) के सामने नए सिरे से कोरोना वायरस की उत्पति को लेकर पारदर्शी तरीके से जांच करने की मांग उठाएंगे। इसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और यूएस के नेता ब्रिटेन में एक जगह जमा होंगे।
पीएम मोदी को भी ब्रिटेन जी-7 समिट में शामिल होने का भेजा न्योता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी ब्रिटेन ने स्पेशल गेस्ट के तौर पर इस समिट में आने का न्यौता दिया था। लेकिन महामारी की वजह से उनकी यात्रा फिलहाल रद्द कर दी गई है। लेकिन 12 और 13 जून को पीएम मोदी वर्चुअली समिट में हिस्सा लेंगे।
लीक हुए दस्तावेज के आधार पर ब्लूमबर्ग न्यूज़ ने कहा है कि जी-7 के नेता इस समिट के दौरान कोरोना वायरस पर बिल्कुल नए और पारदर्शी रिसर्च करने की मांग करेंगे। जांच की मांग उठाने वाले देशों में भारत और यूएस का भी नाम शामिल बताया जा रहा है। पिछले साल कोविड-19 आखिर कैसे फैला? इस बात का जवाब जानने को लेकर यह दोनों देश भी जांच की मांग उठा सकते हैं।
गुरुवार को बीना चीन का नाम लिए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बाग्ची ने कहा सिधा कहा कि, मैं समझता हूं कि हम इस बात को लेकर बिल्कुल साफ हैं कि कोविड-29 की उत्पत्ति को लेकर डब्लूएचओ की जो रिपोर्ट है उसमेम आगे भी रिसर्च किए जाने की जरूरत है। बता दें कि, इस ड्राफ्ट में इसका भी जिक्र है कि जी-7 में शामिल सदस्य राष्ट्र वैक्सीन के एक बिलियन अतिरिक्त डोज देने के लिए संकल्प लेंगे ताकि दुनिया के 80 प्रतिशत युवाओं को वैक्सीन लगाया जा सके। सदस्य राष्ट्र दिसंबर 2022 तक इस महामारी पर पूरी तरह जीत पा लेने की रणनीति पर भी चर्चा करेंगे।