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Biden-Putin Summit 2021: जिनेवा में मिले बाइडेन-पुतिन के हाथ तो बीजिंग में शी जिनपिंग के पेशानी पर क्यों आया पसीना, देखें रिपोर्ट

Biden-Putin Summit

'बाइडेन और पुतिन का जिनेवा में शिखर सम्मेलन 2021 की सबसे बड़ी घटना है। इस शिखर सम्मेलन के दूरगामी परिणाम होंगे। क्या रूस और अमेरिका चीन के फैलाए जाल से दुनिया को बचााने के लिए कुछ करेंगे या अपने-अपने स्वार्थों के दुनिया के गरीब देशों को उनके हाल पर छोड़ देंगें।'

स्विटजरलैँड के जिनेवा शहर में दुनिया की दो महाशक्तियों का शिखर सम्मेलन चल रहा है। चीन इस शिखऱ सम्मेलन को लेकर बेहद व्याकुल है। हालांकि चीन ने इस शिखर सम्मेलन से पहले रूस के सामने ढेर सारी गाजरें फेंक रखी हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि पुतिन चीन की गाजरों के पीछे छुपे कड़वे स्वाद को भी जानते और समझते हैं। पुतिन बहुत दूरदर्शी नेता हैं। वो चीन की महत्वाकांक्षाओं को पढ़ना जानते हैं तो अमेरिकी की भावी आवश्यकताओं की भी उन्हे जानकारी है। इन सबके अलावा पुतिन को मालूम है कि अगर अमेरिका कमजोर हुआ तो चीन का अगला निशाना रूस ही होगा। पुतिन एक साल पहले ही शी जिनपिंग के सामने चीनी जासूसी काण्ड पर नाराजगी जता चुके हैं। ये बात अलग है कि अमेरिका के बाद अब रूस चीन के साथ स्पेस प्रोग्राम में चीन के साथ जा रहा है।

रूस और अमेरिका के बीच संबंधो को सामान्य करने की प्रक्रिया ओबामा ने भी चलाई थी। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप और साइबर हमलों को लेकर दोनों के बीच रिश्ते तल्ख होते चले गए। रिश्ते इतने तल्ख हो गए कि बाइडेन ने पुतिन को कातिल तक कह दिया। इसके बावजूद बाइडेन और पुतिन एक दूसरे से मिलने और विवाद के मुद्दों पर बातचीत की टेबुल पर पहुंचे हैं। कुछ लोगों का कहना है अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में जो होता है वो बहुत बाद मे सामने आता है। इसलिए इस शिखर सम्मेलन के बाद जो दुनिया के सामने आएगा उससे अलावा अमेरिका और चीन किन-किन मुद्दों और विवादों पर समझौता कर चुके होंगे इसका पता शायद ही कभी चल पाये। फिर भी ऐसा माना जा रहा है कि दुनिया के 195 देशों में से 100 देशों को चीन अपने प्रभाव में ले चुका है। बाकी देशों में चीन अपना जाल बिछा रहा है।

चीन का यह प्रभाव न तो अमेरिका के लिए अच्छा है और रूस के लिए। रूस के व्लादिवोस्तक को तो चीन पहले से ही अपना हिस्स बताता है। रूस और चीन के बीच सीमा विवाद भी जगजाहिर है। लेकिन यह विवाद रूस की वजह से कभी संघर्ष की शक्ल नहीं ले पाया है। चीन की बढ़ती ताकत से दुनिया मे अमेरिका का प्रभाव कम हो सकता है लेकिन रूस के लिए चीन भस्मासुर बन सकता है। इसलिए इस शिखर सम्मेलन मे ऐसा जरूर होगा जिससे चीन की चाल को नाकाम किया जा सके। चीन और रूस के बीच इस मुद्दे पर क्या हुआ, इसको दुनिया में आने वाले परिवर्तनों से ही समझा जा सकेगा। इसके सबूत मिलने की संभावना न के बराबर ही है।

बहरहाल, जिनेवा के लेक साइड विला में चल रहे बाइडेन-पुतिन शिखर सम्मेलन से अभी तक जो भी बातें सामने छन कर आई हैं उनसे ऊपरी तौर पर यह बताया जा रहा है कि पुतिन ने चीन का पक्ष लिया है और बाइडेन यूक्रेन के फेवर में अपने तर्क रखे हैं.