सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान की इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के साथ सीक्रेट मीटिंग और सऊदी अरब में ब्रिटिश सैनिकों (British Army in Saudi Arabia) के जमाबड़े से पाकिस्तान में खलबली मची हुई है। सऊदी अरब और पाकिस्तान के संबंधों में जिस तरह से तल्खी बनी हुई है उसको देखकर माना जा रहा है कि शाही सुरक्षा का जिम्मा पाकिस्तान से छीन कर किसी अन्य को दिया जा सकता है। हालांकि कहा यह जा रहा है कि ब्रिटिश सैनिकों को सऊदी (British Army in Saudi Arabia) के तेल कुओं की हिफाजत के लिए लाया गया है। सवाल यह उठ रहा है कि अगर ब्रिटिश सैनिकों को सिर्फ तेल कुओं की हिफाजत के लिए ही लाया गया है तो नौ महीने तक सऊदी में उनकी तैनाती को गुप्त क्यों रखा गया।
ब्रिटिश रक्षा प्रवक्ता के हवाले से ब्रिटिश मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक फरवरी 2020 से ब्रिटिश सैनिक <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/saudi-arabia-israel-relations-going-to-be-intect-benjamin-netanyahu-meets-secretly-with-crown-prince-mbs-18877.html"><strong><span style="color: #0000ff;">सऊदी अरब</span></strong></a> में तैनात हैं। ब्रिटेन ने पहले सऊदी सेना के साथ हवाई युद्ध, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और अधिकारी प्रशिक्षण सहित कई दर्जन प्रशिक्षण मॉड्यूल का संचालन किया था। सऊदी में कुल 15 स्थानों पर ब्रिटिश सेना ने मोर्चा संभाल रखा है।
रक्षा प्रवक्ता के हवाले से बताया गया है कि ब्रिटिश सेना की 16 वीं रेजिमेंट रॉयल आर्टिलरी के गनर को सऊदी अरब में तेल के खेतों में चुपचाप तैनात किया गया था। जिससे हूती विद्रोहियों के ड्रोन हमलों से तेल के कुओं की रक्षा की जा सके। ध्यान रहे कुछ साल पहले यमन के हूती विद्रोहियों पर हमलों से निपटने के लिए गठित सैन्यबल की कमान पाकिस्तान के एक्स आर्मी चीफ<a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Raheel_Sharif"><strong><span style="color: #0000ff;"> रहील शरीफ</span></strong></a> को सौंपी गई थी। अगर इस बात को भी सच माना जाए कि हूती विद्रोहियों से निपटने के लिए ब्रिटिश फौज आई है तो क्या सऊदी शासन का पाकिस्तानी जनरल की क्षमताओं पर विश्वास खत्म हो गया है?
<img class="wp-image-19683 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/11/British-Army-in-Saudi-Arabia-johnson-with-MBS.jpg" alt="British Army in Saudi Arabia johnson with MBS" width="1280" height="850" /> ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमानअधिकारिक खबरों के मुताबिक सऊदी अरब के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के साथ एक सीक्रेट डील साइन की थी। ध्यान रहे पाकिस्तानी जनरल रहील शरीफ अभी तक सऊदी नेतृत्व में गठित किए गए इस्लामिक मिलिटरी काउंटर टेररिज्म कोलिएशन फोर्स के कमाण्डर इन चीफ हैं और सऊदी अरब के महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा उन्हीं की जिम्मेदारी है। जनरल रहील शरीफ की मौजूदगी के बावजूद सऊदी में हूती विद्रोहियों के बहाने ब्रिटिश सैनिकों की तैनाती पाकिस्तान के लिए बड़ा संकेत है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ब्रिटिश सैनिकों की तैनाती सऊदी अरब में किन किन स्थानों पर की गई है और कितनी संख्या में की गई है इसको भी गुप्त रखा जा रहा है।
ब्रिटिश रक्षा मंत्री जेम्स हेपी ने ने भी रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए बताया कि ब्रिटेन ने सऊदी में ड्रोन का पता लगाने के लिए जिराफ रडार को तैनात किया था। इसके अलावा एयर डिफेंस कमांड और कंट्रोल सिस्टम को भी तैनात किया गया था जो शार्ट रेंज के एयर डिफेंस मिसाइल और गन को फायर करने में सक्षम थे। हेपी ने कहा कि यह तैनाती पूरे तौर पर रक्षात्मक थी। काउंटर टेररिज्म कोलिएशन फोर्स के कमाण्डर इन चीफ (पाकिस्तानी जनरल) रहील शरीफ के रहते सऊदी अरब में ब्रिटिश फौज की तैनाती पर पाकिस्तान सरकार ने चुप्पी साध ली है। हालांकि पाकिस्तानी मीडिया में इस मुद्दे पर खूब चर्चा हो रही है कि सऊदी अरब जल्द ही पाकिस्तान से सुरक्षा का जिम्मा छीनने वाला है।
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