भारत को लेकर विश्व समुदाय का नजरिया बदल रहा है लेकिन ब्रिटिश थिंकटैंक 'मन ही मन पुलाव पका' रहे हैं। हालांकि, ब्रिटेन भी भारत से नजदीकी रिश्ते बनाने के प्रयास में है। पर ब्रिटिश थिंकटैंक का पूर्वाग्रह से ग्रसित होना भारत के प्रभाव से उपजे भय को दिखाता है। एक प्रमुख ब्रिटिश थिंकटैंक ने यूके सरकार को चेताते हुए कहा है कि वह भारत से ज्यादा उम्मीदें न रखे। चैटम हाउस की नई रिपोर्ट कहती है कि भारत को उसके हक के मुताबिक ही तवज्जो मिलनी चाहिए। यानी वह भारत को 'डिफिकल्ट फोर' देशों के सूची में डालना चाहता है। ऐसे ही रिपोर्ट में कहना है- यूके सरकार को यह स्वीकार करने की जरूरत है कि इस रिश्ते से सीधा फायदा मिल पाना मुश्किल है। <a href="https://hindi.indianarrative.com/world/capitol-violence-aftermath-mike-pence-may-be-president-next-by-default-before-jo-biden-23870.html" target="_blank" rel="noopener noreferrer">भारत से वह आर्थिक तौर</a> पर हो या कूटनीतिक तौर पर किसी भी तरह का फायदा होना मुश्किल है।
<strong> 'ग्लोबल ब्रिटेन, ग्लोबल ब्रोकर' शीर्षक से छपी यह रिपोर्ट बेहद विवादास्पद और कई सवाल खड़े करती है। रिपोर्ट में सवाल किया गया है कि क्या ब्रिटेन अपनी ताकतों के बावजूद, दुनिया पर अपने कम होते प्रभाव को रोक पाएगा। साथ ही भारत को ब्रिटेन के प्रतिद्वंदी देंशों की सूची में डाल दिया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब उन चार 'मुश्किल' देशों की सूची में डाला गया है जो यूके लिए 'प्रतिद्वंदी' साबित होंगे। इसके अलावा भारत की घरेलू राजनीति को भी एक अड़चन बताया गया है।</strong>
चैटम हाउस की रिपोर्ट में लिखा गया है कि यूके को 'रणनीतिक फोकस में बदलाव' लाने की जरूरत है। इसमें भारत को चीन, सऊदी अरब और तुर्की के साथ रखते हुए इन चारों को 'डिफिकल्ट फोर' बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश सरकार को भारत के साथ मजबूत संबंध विकसित करने की दिशा में वास्तविकता समझते हुए लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए। रिपोर्ट कहती है, "यूके के लिए भारत जरूरी है… लेकिन अबतक यह साफ हो जाना चाहिए था कि भारत के साथ और गहरे रिश्तों का विचार हमेशा हकीकत से ज्यादा फायदे की बात करता है।<a href="https://hindi.indianarrative.com/world/british-army-in-saudi-arabia-pakistan-very-soon-will-no-where-in-ksa-19668.html" target="_blank" rel="noopener noreferrer"> ब्रिटिश शासनकाल की विरासत लगातार</a> रिश्तों में बाधा बनती रही है। इसके मुकाबले, अमेरिका भारत का सबसे अहम रणनीतिक साझेदार बन गया है। हाल के अमेरिकी प्रशासनों ने द्विपक्षीय सुरक्षा संबंधों को और मजबूत किया है जिससे यूके किनारे हो गया है।"
<strong>रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि भारत की 'जटिल, बिखरी हुई घरेलू राजनीति ने उसे मुक्त व्यापार और विदेशी निवेश का सबसे ज्यादा प्रतिरोध करने वाले देशों में से एक बना दिया है।' थिंकटैंक कहता है, "सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी का प्रत्यक्ष हिंदू राष्ट्रवाद मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यक धार्मिक समूहों के अधिकारों को कमजोर कर रहा है, जिससे ऐसी चिंताओं को बल मिला है कि नेहरू से विरासत में मिले एक सेक्युलर, लोकतांत्रिक भारत की जगह असहिष्णु बहुसंख्यकवाद ले रहा है।" </strong>
<h3>D10 की आलोचना</h3>
इस रिपोर्ट में पीएम बोरिस जॉनसन की लोकतांत्रिक देशों का क्लब D10 बनाने की पहल की भी आलोचना की गई है। इसमें भारत को शामिल करने पर थिंकटैंक ने बेहद तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि है कि 'D10 में भारत में इस वक्त शामिल करने से नीति या किसी संयुक्त कार्रवाई पर कोई सार्थक सहमति बनना मुश्किल हो जाएगा। भारत का एक लंबा इतिहास रहा है कि वह 'पश्चिमी' कैंप में शामिल होने का प्रतिरोध करता आया है। उसने शीत युद्ध के समय गुटनिरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व किया और 2017 में औपचारिक रूप से चीन और रूस के नेतृत्व वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में शामिल हो गया।'.