मुसलमानों का ठेकेदार बनने वाले पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका लगा है। फ्रांस में मस्जिद-मदरसों और कट्टरपंथियों पर रोक के बाद अब स्विट्जरलैण्ड ने मुस्लिम महिलाओं के बुर्का और नकाब पहनने पर रोक लगाने का फैसला किया है। बुर्का और नकाब पहनने पर रोक का फैसला एक रेफेरेंडम के बाद लिया गया है। अब देखना होगा कि क्या फ्रांस के खिलाफ आग उगलने वाला पाकिस्तान स्विट्जरलैण्ड के खिलाफ भी कुछ बोलने की हिम्मत दिखा पाएगा।
यूरोप के कई देशों के नक्शेकदम पर चलते हुए स्विट्जरलैंड ने भी अब बुर्के और नकाब पर प्रतिबंध की तैयारी कर ली है। इसे लेकर रविवार को पूरे देश जनमत संग्रह किया गया। जिसमें लोगों के पूछा गया कि क्या सार्वजनिक स्थानों पर नकाब को प्रतिबंधित किया जाए या नहीं? अब एग्जिट पोल में ऐसे संकेट मिल रहे हैं कि अधिकांश लोगों ने बुर्के और नकाब को प्रतिबंधित करने के पक्ष में मतदान किया है।
इस साल की शुरुआत में ल्यूसर्न विश्वविद्यालय ने एक सर्वे में दावा किया था कि स्विट्जरलैंड में कोई भी महिला बुर्का नहीं पहनती है। जबकि 30फीसदी महिलाएं ऐसी हैं जो सार्वजनिक स्थानों पर जाने के दौरान नकाब से चेहरा ढंकती हैं। इस रेफरेंडम को स्विट्जरलैंड में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के खिलाफ देखा जा रहा है।
महीने पहले स्विट्जरलैंड की सरकार एक प्रस्ताव लाई थी कि कोई भी सार्वजनिक रूप से अपने चेहरे को कवर नहीं करेगा, न ही उन क्षेत्रों में जहां सेवाएं सभी के लिए समान रूप से सुलभ हैं। जिसके बाद से इस प्रस्ताव का कई संगठनों ने विरोध किया। सरकार ने कोई रास्ता न देखते हुए लोगों से ही इसके बारे में रेफरेंडम के जरिए राय मांगी थी। जिसे लेकर रविवार को मतदान हुआ।
स्विट्जरलैंड की 86लाख की आबादी में मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी 5.2फीसदी है। इस देश में रहने वाले अधिकांश मुस्लिम, बोस्निया, तुर्की और कोसोवो के रहने वाले हैं। इन देशों के निवासी मुस्लिम परिवारों की महिलाएं नकाब और बुर्का पहनती हैं। नकाब से चेहरे के आधे हिस्से को ढंका जाता है, जबकि बुर्का से पूरे शरीर को कवर किया जाता है।