अफ्रीका के एक ईसाई कार्डिनल को अपने ही सर्वोच्च धर्म गुरु पोप फ्रांसिस से टकराना मंहगा साबित हो गया है। पोप फ्रांसिस ने अफ्रीका के कार्डिनल रॉबर्ट सारा को बर्खास्त कर दिया है। रॉबर्ट सारा से कार्डिनल के सारे अधिकार और पदवी छीन ली गई है। उन्हें अब एक साधारण ईसाई की हैसियत से ही सारा जीवन व्यतीत करना पड़ेगा। दरअसल, यूरोप में इस्लामिक शरणार्थियों की बढ़ती समस्या पर कार्डिनल रॉबर्ट सारा ने कहा था कि वेटिकन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। अगर इस्लामी शरणार्थियों की बाढ़ ऐसी ही आती रही तो दुनिया पर इस्लाम के हमले शुरू हो जाएंगे।
रॉबर्ट सारा अफ्रीकी देश गिनी के रहने वाले हैं। उन्होंने पिछले 20 साल में वेटिकन सिटी में कई महत्पूर्ण पदों पर काम किया है। वर्तमान में वे वेटिकन सिटी के पूजा और धार्मिक अनुष्ठान के मामलों को देख रहे थे।
उन्होंने 2019 में इस्लाम पर बयान दिया था कि अगर कैथोलिक चर्च प्रवासी समस्या पर हस्तक्षेप नहीं करता तो दुनिया पर इस्लाम का हमला होगा। सारा ने पिछले साल जून में 75 साल के होने के बाद ही अपना इस्तीफा सौंप दिया था। क्योंकि चर्च के कानून में कोई भी 75 साल के बाद वेटिकन में नौकरी नहीं कर सकता। लेकिन परंपरा अनुसारपोप फ्रांसिस ने अन्य पूर्ववर्ती वेटिकन के अधिकारियों की तरह सारा को भी अपने पद पर बने रहने की अनुमति दे थी। लेकिन पोप के साथ विवाद बढ़ने पर रॉबर्ट सारा को तत्काल इस्तीफा देने को कहा गया।
इससे पहले कार्डिलन रॉबर्ड सारा 2014 में पोप फ्रांसिस के होली थर्सडे सर्विस में महिलाओं को भाग लेने की अनुमति देने आदेश को मानने से इनकार कर दिया था। पोप फ्रांसिस वेटिकन सिटी में महिलाओं को लेकर रूढ़िवादि विचारों को कम करने की कोशिश कर रहे हैं हैं। पोप फ्रांसिस ने वेटिकन के वित्तीय विभाग की प्रमुख सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर महिलाओं की नियुक्ति की थी।
सारा पिछले साल पादरियों के ब्रह्मचर्य की रक्षा वाले एक पुस्तक के विवादित प्रकरण में भी शामिल थे। उन्होंने दावा किया था कि इस पुस्तक को संयुक्त रूप से पूर्व पोप बेनेडिक्ट के साथ लिखा था। इसके प्रकाशन के कुछ ही दिन पहले ही पोप बेनेडिक्ट ने कहा कि वह अपना नाम किताब के कवर से हटा देना चाहते थे क्योंकि उसने केवल एक मामूली योगदान दिया था।