तालिबान लड़ाकों ने अफगास्तिान पर कब्जा कर लिया हैं। अमेरिकी अधिकारियों की मानें इसमें तालिबान की मदद रुस, ईरान, पाकिस्तान और चीन ने की। अमेरिकी न्यूज़ चैनल सीएनएन ने दावा किया है कि चीन तालिबान को वैध शासक के रूप में मान्यता दे सकता है। कुछ दिन पहले ही चीन ने तालिबान के सह संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर समेत कुछ प्रमुख राजनीतिक नेताओं को शांति वार्ता के लिए बीजिंग में बुलाया था। सूत्रों की मानें तो इस दौरान चीन ने तालिबान के साथ कुछ डील भी की।
इस डील के तहत तालिबान शिनजियांग प्रांत में इस्लामिक आतंकी संगठनों को सहयोग बंद करेगा। बदले में चीन अफगानिस्तान में इस आतंकी संगठन को मान्यता दे सकता है। वहीं पाकिस्तान भी कम खुश नहीं है। तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जे का जश्न पाकिस्तान सरकार भी मना रही है। अफगानिस्तान सरकार लगातार दावा करती रही है कि पाकिस्तान, तालिबान का समर्थन कर रहा है। अफगान सेना ने इसे लेकर कई बार सबूत दिए हैं। अफगान सेना ने तालिबान से लड़ाई में कई पाक लड़ाकों को मार गिराया है।
इसको लेकर पाकिस्तान के पूर्व सीनेटर अफरासिआब खटक ने अफगानिस्तान में पाकिस्तान के रोल को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा- 'पाकिस्तान पूरी तरह से तालिबान का समर्थन कर रहा है। तालिबान एक तरह से अफगानिस्तान में पाकिस्तान का स्ट्रेटजिक पार्टनर है। पाकिस्तान, तालिबान को आगे बढ़ता देख बहुत खुश है। आपको बता दें कि अफगानिस्तान के काबुल में स्थित राष्ट्रपति भवन पर तालिबान के आतंकवादियों ने कब्जा कर लिया है। अफगानिस्तान में 20 साल तक चले युद्ध के बाद अफगानिस्तान के आधे से ज्यादा क्षेत्र पर तालिबान का कब्जा हो गया है।