इधर बिच दूसरे देशों के जमीनों को हथियाने की भूख ड्रैगन की कुछ ज्यादे ही बढ़ गई है, चीन से लगती जितनी भी देशों के सीमाएं है हर देश उससे परेशाना है और अब तो चीन लगता है कि ताइवान पर कब्जा के लिए पूरी तैयारी कर ली है। क्योंकि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के राजनीतिक इतिहास में एक बड़ी घटना हुई है, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की स्थिति अब पार्टी में और मजबूत हो चुकी है क्योंकि, इसके लिए एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया गया है जिसके बाद शी जिनपिंग चीन के आजीवन राष्ट्रपति बने रहेंगे।
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प्रस्ताव में पार्टी के पिछले 100 सालों के इतिहास का सारांश है। इसके अलावा, इसमें पार्टी द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों और भविष्य में किस दिशा में काम किया जाएगा, उसे लेकर चर्चा की गई है। कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के बाद से ये इस तरह का तीसरा प्रस्ताव है। सबसे पहला प्रस्ताव 1945 में माओत्से तुंग ने और दूसरा प्रस्ताव देंग शियाओपिंग ने 1981 में पारित किया था। बंद दरवाजे में हुए इस अधिवेशन में कम्युनिस्ट पार्टी की 19वीं केंद्रीय समिति के 370 से अधिक पूर्व और वैकल्पिक सदस्यों ने हिस्सा लिया। ये अधिवेशन चार दिनों तक चलने वाला है।
पार्टी की केंद्रीय समिति देश के शीर्ष नेताओं का समूह है। अगले साल राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक होने वाली है। उससे पहले ये आखिरी बड़ी बैठक है। इसमें उम्मीद है कि जिनपिंग राष्ट्रपति के रूप में अपना तीसरा ऐतिहासिक कार्यकाल हासिल कर सकते हैं। बता दें कि, 2018 में चीन ने राष्ट्रपति पद के लिए दो कार्यकालों की सीमा को खत्म कर दिया था। इससे जिनपिंग के आजीवन राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ हो गया था। विशेषज्ञों की माने तो इस प्रस्ताव के बाद जिनपिंग की सस्ता पर पकड़ मजबूत हो जाएगी।
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हांगकांग को लगभग अपने कब्जे लेने के बाद अब चीन की बुरी नजर ताइवान पर है। क्योंकि पिछले कुछ समय से चीन लगातार ताइवान पर आक्रमक है और उसके हवाई क्षेत्र में अपनी गतिविधियां तेज कर दी है। चीनी नौसेना दक्षिण चीन सागर और इंडो-पैसिफिक में आक्रामक नजर आ रही है।