चीन ने अब हर शादीशुदा जोड़े को तीन बच्चे पैदा करने की मंजूरी दे दी है। लेकिन देश में मंहगाई को देखते हुए युवा इस फैसले के लिए तैयार नहीं है। हाल ही में बच्चों के जन्म और कामकाजी नागरिकों की संख्या में कमी से लेकर बढ़ रही बुजुर्ग आबादी को देखते हुए चीन ने ये नई नीति जारी की है। लेकिन खर्चों को अगर देखा जाए, तो चीन में सरकारी अस्पताल की सेवाएं बद्दतर है। जिसके चलते महिलाएं निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर है। यहां जांच से लेकर डिलीवरी तक करीब एक लाख युआन यानी करीब 11.50 लाख रुपए खर्च होते है।
डिलीवरी के बाद घरेलू सहायक पर भी 15,000 युआन या कहिए पौने 2 लाख रुपये का खर्च हो जाते है। इसके अलावा, बीजिंग के हाईडीयन क्षेत्र में एक औसत अपार्टमेंट 90,000 युआन प्रति वर्ग मीटर खर्च करने पर मिलता है। भारतीय करेंसी के मुताबिक करीब 10 लाख रुपए प्रति वर्गमीटर है। हाईडीयन जैसे क्षेत्रों में स्कूली शिक्षा की बेहतर व्यवस्था है, इसलिए ज्यादातर पेरेंट्स यहीं रहने की कोशिश करते है। साल 2019 में शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के रिपोर्ट के मुताबिक, शंघाई में एक औसत परिवार अपने बच्चे पर 15 साल की उम्र का होने तक 8,40,000 युआन यानी करीब एक करोड़ रुपये खर्च कर चुका होता है।
15 साल का होने तक एक बच्चे की केवल स्कूली शिक्षा पर ही औसतन 60 लाख रुपए खर्च हो जाते है। शंघाई के जिंगान और मिन्हांग जैसे उपनगरीय क्षेत्रों में जहां परिवार की औसत आय 5.50 लाख रुपए से भी कम है, वहां बच्चे पर 70% आमदनी खर्च हो रही है। महंगाई देख अभिभावक ज्यादातर एक ही बच्चा पैदा करने की हिम्मत जुटा पाते है। उसे अच्छी जीवनशैली देने के लिए काफी खर्च भी करते हैं। बेबीफूड न्यूजीलैंड या ऑस्ट्रेलिया से आयात होता है। उन्हें पियानो, टेनिस या शतरंज सीखने के लिए क्लासेज में भेजा जाता है।