चीन ने पूर्वी लद्दाख में विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर त्वरित प्रतिक्रिया के लिए पांच मिलिशिया दस्ते तैनात किए हैं। सूत्रों ने कहा कि सीमा को मजबूत करने और तिब्बत क्षेत्र को स्थिर करने के लिए ऐसा किया गया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "मिलिशिया मूल रूप से चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का एक आरक्षित बल है। वे युद्ध की स्थितियों में तैनात रहते हैं और पीएलए को सैन्य अभियानों में मदद करते हैं।"
अधिकारी ने यह भी बताया कि चीनी मिलिशिया स्वतंत्र संचालन करती है और पीएलए को युद्ध समर्थन और जनशक्ति प्रदान करती है। अधिकारी ने कहा, "यह पर्वतारोहियों, बॉक्सर्स, स्थानीय फाइट क्लब के सदस्यों और अन्य लोगों का अनियमित मिश्रण है। इसके अधिकांश सदस्य स्थानीय आबादी से लिए जाते हैं।"
एलएसी के पार इनकी तैनाती के बाद ही चीन ने भारतीय क्षेत्रों में घुसपैठ के प्रयास शुरू कर दिए हैं। चीन ने पैंगॉन्ग त्सो में यथास्थिति को बदलने के लिए उत्तेजक सैन्य गतिविधि शुरू कर दी थी। हालांकि, भारतीय सैनिकों ने पीएलए के जमीन कब्जाने वाले मंसूबों पर पानी फेर दिया।
29 और 30 अगस्त की रात को पीएलए के सैनिकों ने पहले हुई सहमति का उल्लंघन किया। इससे पहले पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के दौरान हुई सैन्य वार्ता में सहमति व्यक्त की गई थी कि, किसी भी देश की सेना दूसरे के क्षेत्र में नहीं जाएगी और उकसावे वाली कार्रवाई नहीं करेगी।
लद्दाख के पैंगॉन्ग झील इलाके में 29-30 अगस्त की रात को भारतीय सेना से मुंह की खाने के बाद से चीन बिलबिला रहा है। चीनी सेना ने भारत से आग्रह किया है कि वह सीमा पर तनाव कम करने के लिए अपनी सेना को तुरंत कम करे। इससे पहले चीनी विदेश मंत्रालय ने पैंगॉन्ग झील के पास यथास्थिति को बदलने के भारतीय सेना के आरोप को खारिज कर दिया था।
भारत ने चीन से पैंगॉन्ग त्सो से अपने सैनिकों को पूरी तरह से हटाने के लिए कहा है। लेकिन चीन ने हिलने से इनकार कर दिया है। भारतीय सेना ने यह भी कहा कि वे बातचीत के माध्यम से शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन वह अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए भी समान रूप से दृढ़ है।
पैंगॉन्ग त्सो के उत्तर में चीन ने अपनी वर्तमान सैन्य स्थिति से पीछे हटने से इनकार कर दिया है। चीन ने पैंगॉन्ग झील के फिंगर-5 और फिंगर-8 के बीच अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। पीएलए ने मई के आरंभ से ही अपनी विस्तारवादी नीति के तहत यथास्थिति बदलने के प्रयास शुरू कर दिए थे। भारत ने चीन से पैंगोंग त्सो से सैनिकों को पूरी तरह से हटाने को कहा है।
दोनों देशों के बीच मई से ही गतिरोध बना हुआ है और कई स्तर के संवाद के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली है। भारत ने यह भी पाया है कि चीनी पक्ष ने एलएसी – पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश) और पूर्वी (सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश) के तीन क्षेत्रों में सेना, तोपखाने और बख्तरबंद गाड़ियों की तैनाती भी शुरू कर दी है।.