China Exploitation Lead Zinc Mine Aksai Chin: चीन को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। ड्रैगन ने जो लद्दाख में 50 हजार सैनकि तैनात किये और इतना हो हल्ला मचाया उसके पीछे एक बहुत बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल, चीन ने अब भारत की प्राकृतिक संपदा को लूटना तेज कर दिया है। मतलब यह कि, भारत के 40 हजार वर्ग किलोमीटर इलाके पर कब्जा करके बैठा चीन अक्साई चिन के बंजर पहाड़ी इलाके से अरबों डॉलर का खजाना निकालने में जुटा हुआ है। चीन को यहां पर जिंक (China Exploitation Lead Zinc Mine Aksai Chin) का एशिया में सबसे बड़ा भंडार मिला ही। इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश से सटे इलाके में चीन के हाथ सोने और चांदी के विशाल भंडार हाथ लगे हैं जिसकी खुदाई की तैयारी में चीन लग गया है। यह करीब 60 अरब डॉलर का बताया जा रहा है। यानी साफ है कि, इसी के चलते चीन ने अब अक्साई चीन (China Exploitation Lead Zinc Mine Aksai Chin) को तिब्बत और शिंजियांग के सड़क मार्ग से जोड़ा है। चीन को जो सारे खजाने मिले हैं वो सारे भारत के कब्जाये हुए क्षेत्रों मिले हैं।
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अक्साई चीन में मिला एशिया का सबसे बड़ा जिंग भंडार
यहां तक कि, चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर से भी अक्साई चिन इलाका बेहद करीब है जिसके जरिए ड्रैगन शिंजियांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ रहा है। नीदरलैंड के नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी और नीदरलैंड डिफेंस अकादमी के ‘राइजिंग टेंशन इन द हिमालया’ नामक ताजा शोध के मुताबिक चीन ने पश्चिमी सेक्टर में जिंक के दुनिया के सबसे बड़े भंडारों में से एक अक्साई चिन में उत्खनन की तैयारी तेज कर दी है। पूर्वी सेक्टर में अरुणाचल प्रदेश के पास मैकमोहन लाइन से मात्र 50 किमी की दूरी पर लून्जे काउंटी में चीन के हाथ सोने और चांदी का विशाल भंडार लगा है। यही नहीं चीन इसी इलाके में बहुत बड़े पैमाने पर पनबिजली परियोजना को लगा रहा है। चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर विशाल बांध बनाने की तैयारी में है जिसका भारत कड़ा विरोध कर रहा है। ब्रह्मपुत्र नदी न केवल भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों बल्कि बांग्लादेश के लिए लाइफलाइन है। लद्दाख तनाव के बाद चीन ने भारत को ब्रह्मपुत्र नदी में पानी का डेटा देना बंद कर दिया था जो अभी फिर शुरू हुआ है। ये आंकडे़ भारत के लिए बहुत अहम हैं क्योंकि ब्रह्मपुत्र नदी भारतीय राज्यों में बाढ़ लेकर आती है।
अक्साई चीन में इतना जिंग की मालामाल हो जाएगा ड्रैगन
अक्साई चीन इलाके में जो जिंग का भंडार मिला है वो एशिया में सबसे बड़ा है। साथ ही दुनिया में सातवां सबसे बड़ा भंडार है और यहां से 1 करोड़ 90 लाख टन तक उच्छ गुणवत्ता वाला जिंग और लेड निकाला जा सकता है। इस खदान से चीन की जिंक की सप्लाई करीब दोगुनी हो जाएघी। चीन अभी लैटिन अमेरिका से सबसे ज्यादा लेड और जिंक का आयात करता है। चीन का लेड और जिंक का आयात 2020 में 31.7 प्रतिशत और 17.5 प्रतिशत पिछले साल बढ़ा दिया है। इस रिपोर्ट में चीन के घुसपैठ के 15 साल के आंकड़े का इस्तेमाल किया गया है।
भारत को जिंद का सबसे ज्यादा जरूरत
दुनिया में सबसे ज्यादा डिमांड जिंक और लेड हैं और इन भंडारों से चीन मालामाल हो गया है। इलेक्ट्रानिक्स, मशीनरी, केमिकल, निर्माण, फर्टिलाइजर, लाइट उद्योग और दवा उद्योग समेत कई उद्योगों को चलाने के लिए इन दोनों ही धातुओं की बहुत जरूरत है। चीन जिंक का बहुत बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता दोनों ही है। भारत को भी खाद्यान के उत्पादन में जिंक की भारी जरूरत है और यही वजह है कि हमारा देश रूस और कई अन्य देशों से इसका आयात कर रहा है। नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के मुताबिक चीन ने अक्साई चिन में अपनी गतिविधि को काफी बढ़ा दिया है। यानी अगर इस हिस्से पर भारत का पूर्ण कब्जा होता तो आज दुनिया में भारत को सबसे ताकतवर बनने से कोई नहीं रोक सकता है। ऐसा लगता है कि, चीन को इस खजाने के बारे में पहले से ही पता था जिसके चलते वो इन्हीं इलाकों को हमेशा से निशाना बनाता रहा है। भारत सरकार को दुनिया के नेताओं के साथ मिलकर कोई बड़ा कदम उठाना चाहिए जिससे ये इलाका वापस भारत के हिस्से में आ जाए और इससे देश को फायदा हो।
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अरुणाचल के पास चीन को मिला सोने-चांदी का भंडार
अक्साई चीन में जिंग का भंडार मिला है तो उधर भारत के अरुणाचल सीमा के पास लूंजे काउंटी में करीब 60 अरब डॉलर का सोना, चांदी और रेअर अर्थ दैसे अन्य बगुमूल्य खनिज मिले हैं। चीन अब हुआयू सोने की खदान का उत्खनन कर रहा है। चीन ने इस उत्खनन के काम को डोकलाम विवाद के बाद और तेज कर दिया है। चीन ने इस सोने को निकालने के लिए बड़े पैमाने पर आधारभूत ढांचे को बनाया है औऱ चीनी सेना की तैनाती की है। चीन ने दावा किया है कि, भारतीय सीमा से माज्ञ 15 किमी की दूरी पर सोने की खदान का विकास करना उसका संप्रभु हथियार है। यानी की पिछले समय से जो सारा कुछ चल रहा था वो चीन का खेल था। उसका असल मकसद इन खजानों पर कब्जा करना था।