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Afghanistan को लूटने चला चीन, तालिबान संग डील- 74 लाख करोड़ रुपये के खाजने पर नजर

Taliban and China Oil Deal

Taliban and China Oil Deal: अफगानिस्तान से अमेरिका के वापस होते ही चीन ने अपनी गिद्ध वाली नजरें गड़ा दी। चीन की नजर यहां के खजाने पर थी और वो इसके लिए सही मौके का तलाश कर रहा था। जो अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद आई। अब चीन और तालिबान के साथ एक बड़ी डील हुई है जिसके तहत चीन वहां के खजाने (Taliban and China Oil Deal) को निकाल कर दुनिया पर राज करेगा। क्योंकि, ये खजाना 74 लाख करोड़ का है। दरअसल, चीन ने तालिबान सरकार के साथ अफगानिस्तान से 54 करोड़ डॉलर का तेल और गैस (Taliban and China Oil Deal) निकालने का समझौता किया है। जानकारों का कहना है कि, ये तो अभी केवल शुरुआत है आने वाले समय में चीन, तालिबान (Taliban and China Oil Deal) के साथ सेना, निकल, लिथियम समेत कई अनमोल धातुओं के लिए भी डल करेगा। अब अफगानिस्तान के साथ ही चीन ने मध्य एशिया के अन्य देशों में भी बड़े पैमाने पर निवेश करना शुरू कर दिया है। चीन की नजरे रेअर अर्थ पर हैं जिसका भंडार अफगानिस्तान में 1 से 3 ट्रिलियन डॉलर का हो सकता है।

चीन की अफगानिस्तान के खजाने पर गिद्ध वाली नजर
अफगानिस्तान को लेकर एक अनुमान है कि, वहां पर 74 लाख करोड़ रुपये का सोना, लिथियम और अन्य मिनरल छिपे हुए हैं। चीन की नजर इन्हीं खजानों पर है। ताजा डील के तहत चीन की शिनजियांग सेंट्रल एशिया पेट्रोलियम ने तालिबान के साथ तेल और गैस की डील की है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि, वो अगले तीन साल में अमू दराया बेसिन को विकसित करेगी जो उत्तरी अफगानिस्तान में है। चीन ना अपने मुस्लिम बहुल देशों में बढ़ते प्रभाव पर किताब लिख चुके राफ्फइलो पंतूक्‍की का मानना है कि इस तेल क्षेत्र में भंडार बहुत ज्‍यादा नहीं है लेकिन यह इलाका तुर्कमेनिस्‍तान से सटा हुआ है जहां गैस के विशाल भंडार मिले हैं।

अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने जातई नाखुशी
तालिबान इसके जरिए अपनी खस्ता हुई सरकार की हालत को सुधारेगा। अर्थव्‍यवस्‍था के विकास का रास्‍ता साफ हो सकता है। पंतूक्‍की ने कहा, ‘मैं नहीं जानता हूं कि यह चीन के साथ कई समझौतों की शुरुआत मात्र है लेकिन हम यह देखेंगे कि कई चीनी कंपनियां अफगानिस्‍तान आती रहेंगी। तालिबान के डेप्‍युटी पीएम मुल्‍ला बरादर ने कहा कि हमारा प्रशासन चाहता है कि अफगानिस्‍तान की अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूत किया जाए। चीन यह समझौता तब किया है जब अभी तक उसने तालिबानी सरकार को मान्‍यता नहीं दी है। वहीं, चीन और तालिबान के इस फैसले पर अफगानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने नाखुशी जताई है।

अफगानिस्तान में बड़े पैमाने में मौजूद हैं रेअर धातुएं
बता दें कि, दुनिया में इस समय रेअर अर्थ धातुओं की काफी ज्यादा डिमांड है। इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक कार बनाने में किया जाता है। जो कि अफगानिस्तान में विशाल काय पैमाने पर मौजूद है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर रेअर अर्थ धातुएं मौजूद हैं। तालिबान इसी रेअर अर्थ को बेचकर मालामाल होने की राह देख रहा है। इसीलिए वह चीनी कंपनियों को सुरक्षा देने के लिए तैयार है। इससे पहले आईएसकेपी आतंकियों ने चीन को भी धमकी दी थी। चीन के राजदूत ने इस डील को लेकर कहा कि यह दोनों के बीच बढ़ते सहयोग का उदाहरण है। उन्‍होंने यह भी कहा कि चीन अफगानिस्‍तान के आंतरिक मामले में हस्‍तक्षेप नहीं करेगा।

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