पाकिस्तान के पीएम इमरान खान और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी मुस्लिम देशों के झण्डाबरदार बनना चाहते हैं। मुस्लिमों के कथित हितेशी होने के नाते इजराइल और हिंदुस्तान को अपना दुश्मन मानते हैं। इजराइल को तो वो देश ही नहीं मानते। लेकिन पाकिस्तान की नाक के नीचे शिनजियांग में उईगर मुसलमानों के दिल, किडनी और लिवर निकाल कर शी जिनपिंग विदेशों से भारी रकम कमा रहे हैं, ये इमरान खान और पाकिस्तान के मुसलमानों को दिखाई नहीं दे रहा है।
उईगर मुसलमानों पर जुल्म की इंतेहा देखिए कि उन्हें बिना जुर्म जेलों में बंद किया जाता है और ह्युमन ऑरगन की डिमांड आने पर स्वस्थ उईगर कैदियों का मेडिकल मर्डर किया जाता है उनके ऑरगन निकालकर बेच दिए जाते हैं। कम्युनिस्ट चीन की शी जिनपिंग की सरकार के लिए उईगर कैदी सिर्फ यूटिलिटी हैं। जरूरत के हिसाब से उनका इस्तेमाल किया जाता है।
चीन के इस अत्याचार की खबरें अक्सर सुनने को मिलती हैं। चीन हमेशा पश्चिम का दुष्प्रचार कह कर टाल देता है। लेकिन इस बार जो खबरें सामने आई हैं उनमें सबूत भी साथ में हैं। जिस कारण हंगामा मचा हुआ है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिका परिषद के सदस्यों ने इस क्रूरता के खिलाफ आवाज उठाई है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चीन की जेलो में बंद उइगर मुस्लमान, तिब्बती, ईसाईयों के साथ ऐसी क्रूरता की जा रही है। यूनाइटेड नेशन हाई कमिश्नर फॉर ह्यूमन राइट्स (OHCHR), कार्यालय की तरफ से एक बयान जारी कर कहा गया है कि 'हमें जानकारी मिली है कि धार्मिक
अल्पसंख्यक कैदियों को जबरन खून की जांच कराने और अंगों के परीक्षण एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड कराने के लिए मजबूर किया जाता है। जबकि अन्य कैदियों से ऐसा नहीं कहा जा रहा है।'कम्युनिस्ट चीन की जेलों में बंद कैदियों को यह भी नहीं पता कि उन्हें क्यों कैद किया गया है। उनका कसूर क्या था और सजा क्या है। OHCHR के अधिकारियों ने कहा कि 'कैदियों के साथ ऐसी क्रूरता के मामले को लेकर हम काफी गंभीर हैं। विशेषज्ञों के कहना है कि यहां ज्यादातर कैदियों के दिल, किडनी, लीवर समेत शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंग निकाले जा रहे हैं। इसमें स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े प्रोफेशनल्स मसलन- सर्जन और अन्य मेडिकल स्पेशलिस्ट शामिल हैं।'
OHCHR का कहना है कि मानवाधिकार विशेषज्ञों ने पहले यह मामला साल 2006और 2007में चीनी सरकार के सामने उठाया था। लेकिन सरकार ने डेटा उपबल्ध न होने की बात कही थी। इसके अलावा मानवाधिकार से जुड़े अन्य मशीनरी ने भी चीन में एक खास समुदाय के लोगों के शरीर के अंग निकाले जाने की बात कही थी। विशेषज्ञों ने अब इस मामले पर चीन से जवाब देने के लिए कहा है। साथ ही साथ यह भी कहा है कि वो अंतराराष्ट्रीय मानवाधिकार मशीनरी को स्वतंत्र रूप से मानव अंग निकालने के मामले की जांच करने की अनुमति दे लेकि चीन बहुत दुष्ट देश है। जहां उईगर मुसलमानों या तिब्बतियों को रखा गया है वहां हवा भी चीनी पहरेदारों की मर्जी से अंदर जाती है। इसलिए अंदर क्या है और क्या हो रहा है इसकी जानकारी दुनिया को मिलनी मुश्किल है। कुछ समय पहले सैटेलाइट से डिटेंशन सेंटरों की पिक्चर्स ली गईं थीं लेकिन अब आसमान से भी डिटेंशन सेंटरों को पहचान पाना मुश्किल है।
चीन की हैसियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उईगर मुसलमानों पर अत्याचार का मामला पाकिस्तान तो छोड़ दीजिए ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन के किसी देश ने नहीं उठाया है। इस ऑर्गेनाईजेशन में ईरान, यूएई और सऊदी अरब जैसे 57 मुस्लिम देश हैं। सब चुप्पी साधे बैठे हैं। इसी तरह ईसाईयों पर होने वाले अत्याचारों पर वेटिकन भी चुप है। कहा जाता है कि वेटिकन को बीजिंग हर साल मोटी रकम सिर्फ इसलिए देता है कि 'चर्च' आंखें मूंद कर बैठा रहे। तिब्बतियों की ताकत बिल्कुल भी नहीं लेकिन एक वही कौम है जो थोड़ा बहुत विरोध करने का साहस कर पाती है।