लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर पिछले साल हुई भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प के बाद लगातार दोनों देश के सैन्य अधिकारी आपस में बातचीत कर रहे हैं। चीन भी सीमा विवाद सुलझाने का ढोंग कर रहा है पर उसके इरादे कुछ और ही हैं। एक रिपोर्ट में एक बार फिर से चीन की चालाकी सामने आई है और ड्रैगन की मंशा पर एक बार फिर से सवाल उठने लगे हैं। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने इस साल तिब्बत में सीमा के करीब 100 से अधिक सैन्य अभ्यास किए हैं, जबकि पूर्वी लद्दाख में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के पास कुछ बिंदुओं से सेनाओं को हटाने की दिशा में प्रगति हुई है।
इसके अलावा, चीन ने पिछले हफ्ते तिब्बत की राजधानी ल्हासा और अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती शहर निंगची के बीच बुलेट ट्रेन सेवा शुरू की है। अनुसार, इन घटनाक्रमों से पता चलता है कि फरवरी में पैंगोंग त्सो में सेनाओं के वापसी के बावजूद चीन विवादित हिमालयी सीमा पर अपनी सैन्य क्षमताओं का विस्तार कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने पिछले साल जून में गलवान घाटी की घटना के बाद सीमा पर अपनी उपस्थिति बढ़ा दी थी। कोविड महामारी के बावजूद चीन का सैन्य अभियान जारी है।
इस क्रम में ऊंचाई वाले क्षेत्र में हुई सैन्य अभ्यास में चीन की 20 यूनिट के 1000 से अधिक सैनिकों ने हिस्सा लिया। प्रतिकूल मौसम में चीनी सैनिकों की युद्ध क्षमताओं को बढ़ावा देने के इरादे से तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में यह अभ्यास किया गया था। द यूरेशियन टाइम्स के संपादक जयंत कलिता ने कहा, चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में तेजी से सुधार किया है, जो भारत के साथ इसकी वास्तविक सीमा है। बता दें कि चीन और भारत के बीच करीब 11 दौर की सैन्य वार्ता हो चुकी है।