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अमेरिका से सीधे भिड़ने की तैयारी में China! ड्रैगन ने बनाया यह खतरनाक गेम प्‍लान, जानें

किरिबाती पहुंचा चीनी मिलिट्री हॉस्पिटल शिप

चीन (china) उन देशों में से जो कभी भी शांति से बैठने का नाम नहीं लेता है। अब हाल ही में ड्रैगन प्रशांत महासागर में अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती देने में जुटा है। तो बस फिर क्या था चीन की नजर अब सोलोमन द्वीप समूह के पड़ोसी देश किरिबाती पर टिकी है। यही वजह है कि चीन ने हसरतों को पूरा करने के लिए पहली बार अपने मिलिट्री अस्पताल वाले पोत को किरिबाती भेजा है। इस चीनी जहाज का नाम पीस आर्क है, जो 14300 मीट्रिक टन वजनी है। यह पहली बार है, जब चीनी नौसेना के किसी जहाज ने किरिबाती का दौरा किया है।

चीनी रक्षा मंत्रालय ने क्या बताया

बीते रविवार को चीनी रक्षा मंत्रालय की तरफ से अपने आधिकारिक वीचैट अकाउंट पर कहा कि जहाज सात दिवसीय यात्रा शुरू करने के लिए शनिवार को किरिबाती में रुका, जिसमें मानवीय चिकित्सा सहायता भी शामिल है। मंत्रालय ने बताया कि इस दौरान जहाज पर तैनात डॉक्टर और दूसरे स्वास्थ्य अधिकारी स्थानीय अस्पताल और अन्य स्थानों पर मरीजों को देखें। चीनी पोत पीस आर्क के कमांडिंग अधिकारी किरिबाती के राष्ट्रपति, स्वास्थ्य मंत्री, परिवहन मंत्री और पुलिस प्रमुख सहित कई नेताओं से मुलाकात करेंगे।

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इन देशों का भी दौरा करेगा चीन का यह अस्पताल

बता दें, किरिबाती भी सोलोमन द्वीप समूह की तरह 2019 तक ताइवान को एक स्वतंत्र देश का दर्जा देता था, लेकिन चीन के प्रभाव के कारण इन दोनों देशों ने अपनी राजनयिक निष्ठा को बदल लिया था। चीन का यह मिलिट्री अस्पताल वाला जहाज किरिबाती के बाद प्रशांत महासागर के दूसरे द्वीपीय देश टोंगा, वानुअतु, सोलोमन द्वीप और पूर्वी तिमोर का भी दौरा करेगा।

चीन (china) हाल के वर्षों में अमेरिका और सहयोगी ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को परेशान करने के लिए प्रशांत महासागर के देशों के साथ संबंध बना रहा है, जो लंबे समय से इस क्षेत्र को अपने प्रभाव क्षेत्र के रूप में देखते रहे हैं। प्रशांत महासागर के देश सोलोमन द्वीप समूह पर एक तरह से चीन चीन प्रशांत महासागर के द्वीपीय देशों पर लगातार डोरे डालने की कोशिश कर रहा है। किरिबाती में पहली बार अपना मिलिट्री हॉस्पिटल वाला जहाज भेजा है।का पूरा नियंत्रण हो चुका है। चीन और सोलोमन द्वीप समूह ने अभी चंद दिनों पहले ही पुलिस समझौता किया है। इससे पहले चीन ने सोलोमन द्वीप समूह के साथ सुरक्षा समझौता किया था। इसके बाद सोलोमन द्वीप समूह ने अपने देश में अमेरिकी युद्धपोतों के ठहरने के अनुरोध को ठुकरा दिया था।