चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाला है, उससे लगते लगभग हर देश परेशाना हैं, जमीन से लेकर समुद्र तक में चीन अपने घुसपैठ से बाज नहीं आता। इन दिनों चीन ने ताइवान के क्षेत्र में लगातार अपने फाइटर जेट भेज कर डरा धमका रहा है। इसके साथ ही पूरी दुनिया से ताइवान और चीन के मसले से दूर रहने की हिदायत दे रहा है। चीन की ताइवान पर हथियाने की मंसा है। अब चीन ने जो किया है उससे पूरी दुनिया हैरान है क्योंकि ऐसा कहा जा रहा है कि, वह दक्षिण चीन सागर पर जल्द ही कब्जा करने वाला है। यहां उसने अपनी मिलिशिया उतार दी है, उसके करीब 300 जहाज इस इलाके की पेट्रोलिंग कर रहे हैं।
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यूएस सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) ने अपने नए अध्ययन में ये दावा किया है। चीन इस विवादित क्षेत्र पर अपना दावा करता है। उसे सैन्य गतिविधि बढ़ाने के चलते कई देशों के साथ तनाव का सामना भी करना पड़ सकता है। CSIS की रिपोर्ट में कहा गया है कि, चीन की मैरीटाइम मिलिशिया ने लगभग पूरे समुद्र पर अपने बढ़ते दावे के पीच पेट्रोलिंग करना शुरू कर दिया है। चीन अकेला देश नहीं है, जो दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है। उसके अलावा वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रूनेई और ताईवान भी यहां के अलग-अलग हिस्सों को अपना बताते हैं।
चीन दक्षिण चीन सागर पर अपनी पैठ मजबूत करने के लिए आर्टिफिशियल द्वीप बना रहा है। इन्हीं द्वीपों के ऊपर हवाई पट्टी, सैन्य बुनियादी ढांचा और बंदरगाह बनाए जा रहे हैं। चीन की मैरीटाइम मिलिशिया 1950 के दशक के दौरान की गई तटीय रक्षा से जुड़ी है। चीन का इरादा दक्षिण चीन सागर पर कब्जा करने की है। प्रशांत महासागर का ये छोटा सा हिस्सा चीन और दुनिया के दूसरे देशों के लिए काफी अगम है। ये रास्ता विश्व व्यापार के लिए बेहद अहम है। दक्षिण चीन सागर की सीमा दक्षिणी चीन, वियतनाम, फिलीपींस, थाईलैंड, ताइवान, मलेशिया, इंडोनेशिया और ब्रुनेई से लगती है।
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बद दें कि, एशिया में सबसे अहम समुद्री मार्ग दक्षिण चीन सागर को ही माना जाता है क्योंकि, दुनिया की प्राकृतिक गैस व्यापार का 40 प्रतिशत इसी से होकर गुजरता है। इस रास्ते का इस्तेमाल हर साल लगभग 3.5 ट्रिलियन डॉलर के व्यापार के लिए होता है।