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ड्रैगन के आगे पस्त पड़ा अमेरिका! पंगा लेना है मश्किल, Biden ने कबूली China की ताकत

अमेरिका ने कबूली चीनी नौसेना की ताकत

चीन (China) ने अपनी नौसेना को दुनिया की सबसे बड़ी नौसैनिक फौज बना ली है, उसने पिछले कुछ सालों में अपनी नौसेना की ताकत में कई गुना इजाफा किया है। दरअसल, चीन चाहता है कि वह पाकिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार में अपने नौसैनिक अड्डे बनाए। सिर्फ इतना ही नहीं, वह इंडो-पैसिफिक रीजन में भी अपने नौसैनिक अड्डे बनाना चाहता है। अब जब चीन पूरी तरह से दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना का विकास कर रहा है। यह बीजिंग के दुश्मनों के लिए बिल्कुल अच्छी खबर नहीं है। दरअसल, अमेरिकी नौसेना ने समुद्र में चीनी की शक्ति को आखिर कबूल लिया है। अमेरिकी नौसेना सचिव कार्लोस डेल टोरो ने कहा कि उनका देश चीनी नौसेना के जहाज निर्माण क्षमता का मुकाबला नहीं कर सकता है।

कार्लोस डेल टोरो ने यह भी कहा कि चीनी नौसेना को अपने अमेरिकी प्रतिद्वंदी पर कई फायदे हैं। इनमें सबसे प्रमुख एक बड़ा बेड़ा और अधिक जहाज निर्माण की क्षमता है। उन्होंने बताया कि चीन दुनियाभर के महासागरों में अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना चाहता है। ऐसे में अमेरिका के सामने समुद्र पर पकड़ बनाए रखने की चुनौती बढ़ गई है। अभी तक नौसैनिक शक्ति के मामले में अमेरिका को टक्कर देने की क्षमता किसी भी देश में नहीं थी। अब भी फायर पावर के मामले में अमेरिकी नौसेना, चीनी नौसेना से काफी आगे है।

चीन विश्व स्तर पर युद्धपोतों को तैनात कर रहा

अमेरिकी नौसेना (United States Navy) सचिव कार्लोस डेल टोरो ने कहा कि चीन दक्षिण चीन सागर और अन्य जगहों पर हमारे सहयोगियों सहित अन्य देशों की समुद्री संप्रभुता और अन्य देशों की आर्थिक अनन्य क्षेत्रों का लगातार उल्लंघन करने का प्रयास करता है। उन्हें अब एक बड़ा बेड़ा मिल गया है, इसलिए वे उस बेड़े को विश्व स्तर पर तैनात कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वाशिंगटन को प्रतिक्रिया में अमेरिकी बेड़े को अपग्रेड करना चाहिए।

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400 युद्धपोतों का बेड़ा बना रही चीनी नौसेना

चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी आने वाले वर्षों में 400 जहाजों का बेड़ा बना सकती है। अभी तक चीनी नौसेना में कुल जहाजों की संख्या 340 के ऊपर हैं। वहीं, अमेरिकी बेड़े में 300 युद्धपोत और पनडुब्बियां हैं। पिछली गर्मियों में जारी अमेरिकी नौसेना की नौवहन योजना 2022 के अनुसार, पेंटागन का लक्ष्य 2045 तक 350 मानवयुक्त जहाजों को तैयार करना है। इसके बावजूद अमेरिकी युद्धपोतों की संख्या अभी भी चीन के बेड़े के मुकाबले काफी कम है।

अमेरिकी शिपयार्ड चीन का मुकाबला नहीं कर सकते

अमेरिकी नौसैनिक शिपयार्ड चीनी के उत्पादन का मुकाबला नहीं कर सकते। ऐसे में अमेरिकी नौसेना के बेड़े का आकार चाहकर भी तेजी से नहीं बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने दावा किया कि उनके पास 13 शिपयार्ड हैं, कुछ मामलों में उनके शिपयार्ड में अधिक क्षमता है। उनके एक शिपयार्ड में हमारे सभी शिपयार्डों की तुलना में अधिक क्षमता है। यह एक वास्तविक खतरा प्रस्तुत करता है।